Thursday, March 13, 2025

उपचार-प्रतिरोधी कैंसर से लड़ने के लिए एक नए एंटीबॉडी पर फोकस कर रहे हैं वैज्ञानिक

नई दिल्ली। एक वैज्ञानिक दल एक नए प्रकार की एंटीबॉडी पर शोध कर रहा है, जो शरीर की रोग प्रतिरोधक प्रणाली को सक्रिय करके कैंसर कोशिकाओं को निशाना बनाती है और इलाज के बावजूद ठीक न होने वाले स्तन और अंडाशय के कैंसर के ट्यूमर की वृद्धि को धीमा कर देती है। आमतौर पर कैंसर के इलाज में इम्यूनोथेरेपी के रूप में आईजीजी नामक एंटीबॉडी का उपयोग किया जाता है। यह शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को कैंसर से लड़ने में मदद करती है और इसे कीमोथेरेपी और रेडियोथेरेपी का एक विकल्प माना जा रहा है।

 

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हालांकि, कुछ मरीजों में यह इलाज प्रभावी नहीं होता, खासकर एचईआर2 से जुड़े स्तन और अंडाशय के कैंसर में, और कई बार शरीर इस इलाज के प्रति प्रतिरोधक क्षमता विकसित कर लेता है। इस समस्या को दूर करने के लिए किंग्स कॉलेज लंदन के वैज्ञानिकों ने आईजीई नामक एक अलग प्रकार की एंटीबॉडी पर शोध किया। यह एंटीबॉडी आईजीजी से अलग तरीके से प्रतिरक्षा प्रणाली को सक्रिय करती है। आईजीई एंटीबॉडी शरीर की उन प्रतिरक्षा कोशिकाओं को जाग्रत करती है, जो आमतौर पर सक्रिय नहीं होती और ट्यूमर के आसपास मौजूद होती हैं।

 

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इससे कैंसर कोशिकाओं को सीधे टारगेट किया जाता है। शोधकर्ताओं ने आईजीजी एंटीबॉडी की जगह आईजीई एंटीबॉडी को तैयार करके उसका परीक्षण किया। किंग्स कॉलेज लंदन के शोधकर्ता डॉ. हीथर बैक्स ने कहा कि आईजीई ने एचईआर2 से प्रभावित कैंसर कोशिकाओं के खिलाफ प्रतिरक्षा प्रणाली को सक्रिय किया और चूहों में ट्यूमर की वृद्धि को धीमा कर दिया। यह ट्यूमर उन चूहों में विकसित किया गया था जिनमें पारंपरिक इलाज का असर नहीं होता। इससे संकेत मिलता है कि यह नई तकनीक उन मरीजों के लिए फायदेमंद हो सकती है, जिन पर मौजूदा इलाज काम नहीं करता।

 

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आगे और अध्ययन करने पर वैज्ञानिकों ने पाया कि आईजीई एंटीबॉडी ट्यूमर के आसपास की प्रतिरक्षा प्रणाली को पुनः सक्रिय कर सकती है। इससे प्रतिरक्षा प्रणाली की कैंसर से लड़ने की क्षमता बढ़ती है। यह शोध जर्नल फॉर इम्यूनोथेरेपी ऑफ कैंसर (जेआईटीसी) में प्रकाशित हुआ है। डॉ. हीथर बैक्स के अनुसार, “करीब 20% स्तन और अंडाशय के कैंसर में एचईआर2 नामक मार्कर पाया जाता है।

 

 

हमने एचईआर2 के खिलाफ आईजीई एंटीबॉडी तैयार की और पाया कि यह प्रतिरक्षा प्रणाली को नए तरीके से सक्रिय कर सकती है। इससे एचईआर2 कैंसर कोशिकाओं को प्रभावी रूप से निशाना बनाया जा सकता है, खासकर उन मामलों में जहां मौजूदा इलाज काम नहीं करता।” उन्होंने आगे कहा कि यह नई खोज एचईआर2 कैंसर से पीड़ित मरीजों के लिए एक नया इलाज विकल्प बन सकती है।

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