नई दिल्ली। असम में दशकों से चले आ रहे उग्रवाद को खत्म करने के प्रयास में यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (उल्फा), केंद्र और असम सरकार ने शुक्रवार को यहां बहुप्रतीक्षित ऐतिहासिक त्रिपक्षीय शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए।
शांति समझौते पर हस्ताक्षर के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा मौजूद थे।
उल्फा के अध्यक्ष अरबिंद राजखोवा के नेतृत्व में वार्ता समर्थक 16 सदस्यों के एक प्रतिनिधिमंडल ने गुट का प्रतिनिधित्व किया।
एक अधिकारी ने कहा कि इस समझौते से आगे बढ़ने की उम्मीद है। यह स्थानीय आबादी के लिए एक बड़ा प्रोत्साहन है।
‘संप्रभु असम’ की मांग के कारण 1979 में उल्फा का गठन हुआ था। इसके बाद इसके देश विरोधी गतिविधियों के चलते केंद्र सरकार ने 1990 में इस पर प्रतिबंध लगा दिय था।
हालांकि, 2009 के आसपास उल्फा के प्रमुख नेताओं को या तो गिरफ्तार कर लिया गया या उन्होंने आत्मसमर्पण कर दिया। लेकिन परेश बरुआ (जिसे उल्फा-आई के नाम से जाना जाता है) के नेतृत्व वाला गुट अभी भी उग्रवादी गतिविधियों में शामिल है और बातचीत के लिए टेबल पर आने के लिए सहमत नहीं हुआ है।