नयी दिल्ली- केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को राष्ट्रीय चिकित्सा उपकरण नीति 2023 पर अपनी मोहर लगा दी, जिसमें इस क्षेत्र को अगले पांच वर्ष में 50 अरब डॉलर तक ले जाने का लक्ष्य तय गया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में यहां केंद्रीय मंत्रिमंडल में राष्ट्रीय चिकित्सा उपकरण नीति, 2023 को मंजूरी देने के प्रस्ताव का अनुमोदन किया गया। बैठक के बाद केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्री मनसुख मांडविया और सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर ने एक संवाददाता सम्मेलन में बताया कि भारत में चिकित्सा उपकरण क्षेत्र एक उभरता हुआ क्षेत्र है, जो तेज गति से बढ़ रहा है। वैश्विक बाजार में भारतीय चिकित्सा उपकरण क्षेत्र की हिस्सेदारी 1.5 प्रतिशत होने का अनुमान है। भारतीय चिकित्सा उपकरण क्षेत्र विकास की राह पर है और इसमें आत्मनिर्भर बनने और सार्वभौमिक स्वास्थ्य के लक्ष्य की दिशा में योगदान करने की अपार क्षमता है।
सरकार ने हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश में चार चिकित्सा उपकरण पार्कों की स्थापना के लिए चिकित्सा उपकरणों और सहायता के लिए पीएलआई योजना के कार्यान्वयन की शुरुआत पहले ही कर दी है। चिकित्सा उपकरणों के लिए पीएलआई योजना के तहत अब तक कुल 26 परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है, जिनमें 1206 करोड़ रुपये का निवेश किया गया है। इसमें से अब तक 714 करोड़ रुपये का निवेश हासिल किया जा चुका है। पीएलआई योजना के तहत 37 उत्पादों का उत्पादन करने वाली कुल 14 परियोजनाओं को चालू किया गया है।
राष्ट्रीय चिकित्सा उपकरण नीति, 2023 से पहुंच, सामर्थ्य, गुणवत्ता और नवाचार के सार्वजनिक स्वास्थ्य उद्देश्यों को पूरा करने के लिए चिकित्सा उपकरण क्षेत्र के व्यवस्थित विकास की सुविधा होगी।