पटना- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 2024 के लोकसभा चुनाव में पटखनी देने के लिए साथ आये 15 विपक्षी दलों ने आपसी मनमुटाव और महत्वाकांक्षा को दरकिनार कर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) तथा उसके सहयोगी दलों के खिलाफ एक संयुक्त उम्मीदवार खड़ा करने पर सहमत होने का ऐलान किया है ।
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पहल पर शुक्रवार को यहां आयोजित बैठक में विपक्षी दलों ने आपसी मनमुटाव और महत्वाकांक्षा को दरकिनार कर 2024 के लोकसभा चुनाव में श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और उसके सहयोगी दलों के खिलाफ विपक्ष का एक संयुक्त उम्मीदवार खड़ा करने पर सहमति दी । विपक्ष के नेताओं ने न्यूनतम साझा कार्यक्रम बनाने और आगे की रणनीति तय करने के लिए जुलाई में शिमला में बैठक आयोजित करने का भी निर्णय लिया ।
करीब तीन घंटे तक चली बैठक के बाद श्री नीतीश कुमार ने विपक्षी दलों के नेताओं के साथ संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में कहा कि बैठक में एक साथ चुनाव लड़ने की सहमति बन गई है बनी है । अब सभी पार्टियों की अगली बैठक जल्दी ही होगी जिसमें न्यूनतम साझा कार्यक्रम और कौन कहां से चुनाव लड़ेगा, इस पर अंतिम रूप दिया जाएगा ।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी ने कहा कि आज हिंदुस्तान की नींव पर हमला हो रहा है । भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ इस पर पर आक्रमण कर रहे हैं । यह विचारधारा की लड़ाई है और इस लड़ाई में हम सब साथ हैं । उन्होंने कहा कि सभी पार्टियों में थोड़े थोड़े मतभेद हैं लेकिन इसके बावजूद हम सब एक साथ काम करेंगे। आज जो बातचीत हुई है उसे अगली बैठक में और आगे बढ़ाएंगे।
तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की प्रमुख और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि इस बैठक में यह तीन संकल्प लिया गया कि भाजपा के खिलाफ हम सब एकजुट रहेंगे और सभी मिलकर चुनाव लड़ेंगे। दूसरा यह कि भाजपा के राजनीतिक प्रतिशोध का सभी मिलकर विरोध करेंगे और इस लड़ाई में अपना खून बहाना पड़े तो वह भी बहाएंगे। तीसरी बात यह तय हुई कि अब अगली बैठक जुलाई में शिमला में होगी और उसमें आगे की रणनीति और कार्यक्रम पर विचार किया जाएगा ।
करीब तीन घंटे तक चली बैठक के बाद श्री नीतीश कुमार ने विपक्षी दलों के नेताओं के साथ संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में कहा कि बैठक में एक साथ चुनाव लड़ने की सहमति बन गई है बनी है । अब सभी पार्टियों की अगली बैठक जल्दी ही होगी जिसमें न्यूनतम साझा कार्यक्रम और कौन कहां से चुनाव लड़ेगा, इस पर अंतिम रूप दिया जाएगा ।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी ने कहा कि आज हिंदुस्तान की नींव पर हमला हो रहा है । भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ इस पर पर आक्रमण कर रहे हैं । यह विचारधारा की लड़ाई है और इस लड़ाई में हम सब साथ हैं । उन्होंने कहा कि सभी पार्टियों में थोड़े थोड़े मतभेद हैं लेकिन इसके बावजूद हम सब एक साथ काम करेंगे। आज जो बातचीत हुई है उसे अगली बैठक में और आगे बढ़ाएंगे।
तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की प्रमुख और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि इस बैठक में यह तीन संकल्प लिया गया कि भाजपा के खिलाफ हम सब एकजुट रहेंगे और सभी मिलकर चुनाव लड़ेंगे। दूसरा यह कि भाजपा के राजनीतिक प्रतिशोध का सभी मिलकर विरोध करेंगे और इस लड़ाई में अपना खून बहाना पड़े तो वह भी बहाएंगे। तीसरी बात यह तय हुई कि अब अगली बैठक जुलाई में शिमला में होगी और उसमें आगे की रणनीति और कार्यक्रम पर विचार किया जाएगा ।
सुश्री बनर्जी ने कहा कि हम विपक्ष नहीं इस देश के नागरिक हैं । हम भी देशभक्त हैं और जब मणिपुर मैं घर जलता है तो हमारा घर भी जलता है। देश मैं आज जो कुछ हो रहा है उससे हम सभी दुखी हैं । जो उत्पीड़न चल रहा है वह भयावह है । देश मैं भाजपा की तानाशाही सरकार है उसने हर प्रदेश में राजभवन को एक वैकल्पिक सरकार बना दिया है। उन्होंने कहा कि उनके राज्य के राज्यपाल ने हम लोगों से बिना विचार किए ही फाउंडेशन डे मना लिया ।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र की सरकार को जो मर्जी आता है वह वही करती है और उसके खिलाफ यदि कोई बोलता है तो वह उसके पीछे सीबीआई और ईडी लगा देती है । उसने मीडिया पर भी पूरा कंट्रोल कर लिया है और अब वह यह चालाकी कर रही हैं कि वह अपने बहुत सारे वकीलों को कोर्ट में भेजकर हम लोगों के खिलाफ मुकदमा करवाती है और उसके बाद सीबीआई को पीछे लगा देती है,लेकिन बेरोजगारी, गरीबी और महिलाओं की उसे कोई चिंता नहीं है।
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के प्रमुख शरद पवार ने कहा कि आज देश में जहां भी गैर कांग्रेस की सरकार है या यूं कहें जहां भाजपा और उसके सहयोगी की सरकार है वहां इस तरह का संशय का माहौल बनाया जा रहा है जिससे समाज का ताना-बाना टूटता है । आज खुशी की बात है कि सभी दल छोटे-मोटे मतभेदों को भूलकर देश के व्यापक हित में एक साथ आये हैं ।
पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी(पीडीपी) की प्रमुख और जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने कहा कि आज जिस तरह से संविधान, लोकतंत्र और धर्मनिरपेक्षता पर हमला हो रहा है उसकी प्रयोगशाला जम्मू कश्मीर बन चुका है । इसकी शुरुआत जम्मू कश्मीर से हुई और अब पूरे देश में वही हो रहा है जो पहले हमारे साथ हुआ था । जिस महात्मा गांधी और जवाहरलाल नेहरू के देश से जम्मू कश्मीर के लोगों ने हाथ मिलाया है वह आइडिया ऑफ इंडिया है, जहां गंगा जमुना तहजीब है लेकिन आज हम देख रहे हैं कि देश में अल्पसंख्यकों के साथ किस तरह का व्यवहार हो रहा है । जम्मू कश्मीर की ताकत ज्यादा नहीं है वहां से पांच- छह सांसद ही हैं इसके बावजूद हम यहां इसलिए इकट्ठे हुए हैं कि इस देश को हम गोडसे का मुल्क नहीं बनने देंगे।
शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने कहा कि अलग – अलग पार्टी और विचारधारा होने के बावजूद हम सब देश हित में एकजुट हुए हैं । जब भी देश के प्रजातंत्र पर कोई आघात होगा तो हम सब मिल कर इसी तरह उसका विरोध करेंगे । उन्होंने कहा कि आज शुरुआत अच्छा हुई है तो आगे भी अच्छा ही होगा।
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के राष्ट्रीय महासचिव डी राजा ने कहा कि बैठक में आज हम लोगों ने देश की वर्तमान स्थिति पर विस्तार से चर्चा की। हम सभी का विचार है कि भाजपा का पिछले नौ साल का शासन काल लोकतांत्रिक शासन और समाज के धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने के लिए भयंकर तबाही का रहा है । उन्होंने कहा श्री मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार में एक सांप्रदायिक व्यापारिक सांठगांठ बना है जिसमें सरकार बड़े व्यापारिक घरानों का साथ दे रही है और इससे सबसे ज्यादा गरीब प्रभावित हो रहे हैं। उनके हित नजरअंदाज किए जा रहे हैं। इसलिए देश, लोकतंत्र को बचाने तथा समाज के धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने को बनाए रखने के लिए 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को सत्ता से हटाना जरूरी है।
नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) के नेता और जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि भले ही मीडिया के लिए यह ज्यादा महत्त्व रखता है कि यहां कौन नहीं है लेकिन यह ज्यादा महत्वपूर्ण है कि यहां कौन-कौन लोग हैं । जम्मू कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक अलग-अलग पार्टियों के नेताओं ने इस बैठक में हिस्सा लिया है और उनका मकसद ताकत या सत्ता हासिल करना नहीं है । हम सत्ता की लड़ाई नहीं लड़ रहे हैं । यह लड़ाई उसूलों की, विचारधारा, सोच और इरादों की लड़ाई है । यह संविधान को बचाने की लड़ाई है।
श्री अब्दुल्ला ने कहा,” जम्मू कश्मीर में फिर से लोकतंत्र को जिंदा करने के लिए मैं और महबूबा जी लड़ाई लड़ रहे हैं । उन्होंने कहा कि उन्हें बड़ा अच्छा लगा जब कल अमेरिका में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जम्हूरियत की बात कर रहे थे लेकिन यह अफसोस की बात है कि जम्मू कश्मीर में 5 साल से राष्ट्रपति शासन लागू है । इतने लंबे समय तक वहां राष्ट्रपति शासन 1990 के दशक में भी नहीं लगा था जब वहां हालात बहुत खराब थे । उन्होंने कहा कि अभी 4 राज्यों में विधानसभा चुनाव होने जा रहा है जिसे लोकसभा चुनाव का सेमीफाइनल मानकर भाजपा को हराने की रणनीति बनाई जानी चाहिए ।
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा कि भाजपा और आरएसएस के लोग इस देश का रूप और चरित्र बदलना चाहते हैं । यह लोग इस देश को धर्मनिरपेक्ष गणराज्य से हिंदू राष्ट्र में बदलना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा के खिलाफ सभी दल एकजुट हुए हैं और वे अब राजनीतिक कार्यक्रमों और आंदोलनों के जरिए बेरोजगारी, बढ़ती महंगाई और खराब व्यवस्था जैसे जनहित के मुद्दों को उठाएंगे।
इस मौके पर राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने अपने पुराने अंदाज में कहा कि बहुत दिनों के बाद आप लोगों से बात हो रही है । अब वह पूरी तरह से ठीक हो गए और अब वह नरेंद्र मोदी को भी ठीक कर देंगे । आज जो बैठक हुई है उसमें देश के नेताओं ने खुलकर अपनी बात रखी है और यह तय हुआ है कि शिमला में जो अगली बैठक होगी उसमें हम लोग आगे के और कार्यक्रम कैसे हो वह तय करेंगे ।
श्री यादव ने कहा कि देश में सभी लोग कहते हैं कि वोट तो आप लोगों के पास है लेकिन विपक्ष के लोग एकजुट नहीं होते हैं इसलिए वोट बटने से भाजपा को लाभ मिल जाता है लेकिन अब हम लोग एकजुट हो गए हैं तब भाजपा की हार तय हो गई है ।
सपा प्रमुख और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा कि इस बैठक का संदेश यही है कि हम सब लोग मिलकर के काम करेंगे और मिलकर के देश को बचाएंगे । संवाददाता सम्मेलन में झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के नेता और झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि देश और लोकतंत्र को बचाने के लिए भाजपा को सत्ता से हटाना जरूरी है ।
बैठक में आम आदमी पार्टी (आप) के प्रमुख और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, राज्यसभा सदस्य संजय सिंह और राघव चड्ढा भी मौजूद थे लेकिन वे संवाददाता सम्मेलन में मौजूद नहीं थे। बताया जाता है कि दिल्ली अध्यादेश पर कांग्रेस की ओर से स्पष्ट आश्वासन नहीं मिलने से आप के नेता नाराज हैं। आम आदमी पार्टी चाहती थी कि इससे संबंधित विधेयक जब मानसून सत्र में राज्यसभा में लाया जाए तो कांग्रेस उसके खिलाफ वोट करे और इस बारे में वह विपक्ष की बैठक में आश्वासन दे।