Friday, November 22, 2024

यूपी फिर बना नंबर वन! निवेशकों, बैंकों और वित्तीय संस्थाओं का बढ़ रहा योगी सरकार पर भरोसा

गोरखपुर। विधानसभा के मॉनसून सत्र में नेता विरोधी दल अखिलेश यादव ने वन ट्रिलियन इकॉनमी के संकल्प का मजाक उड़ाते हुए सरकार से इसके रोडमैप पर सवाल किया था। तब सीएम योगी ने खड़े होकर विपक्ष के एक-एक सवाल का चुन-चुनकर जवाब दिया था। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया का अगस्त 2023 का बुलेटिन न सिर्फ सीएम योगी के तर्कों की तस्दीक करता है बल्कि आलोचकों को करारा जवाब भी देता है। बुलेटिन में दिए गए आंकड़े बताते हैं कि उत्तर प्रदेश को उत्तम प्रदेश बनाने में जुटे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सुशासन पर न सिर्फ देश और दुनिया भर के निवेशकों को भरोसा है, बल्कि सभी राष्ट्रीय बैंक और वित्तीय संस्थाओं को भी उनके संकल्प पर पूर्ण विश्वास है। हर गुजरते साल के साथ यह भरोसा और मजबूत होता जा रहा है।

आरबीआई के अगस्त 2023 बुलेटिन के अनुसार उत्तर प्रदेश बैंकों व वित्तीय संस्थाओं द्वारा स्वीकृत परियोजनाओं की कुल लागत हिस्सेदारी में एक बार फिर सभी राज्यों से आगे रहा है। इसके अनुसार बैंकों और वित्तीय संस्थाओं द्वारा स्वीकृत परियोजनाओं की कुल लागत हिस्सेदारी में यूपी 2022-23 में 16.2 प्रतिशत शेयर के साथ लगातार दूसरे वर्ष भी नंबर वन पर रहा है।

12 प्रतिशत की हुई वृद्धि
2017 में उत्तर प्रदेश की सत्ता संभालने के बाद सीएम योगी ने प्रदेश में लॉ एंड ऑर्डर, इंफ्रास्ट्रक्चर, कनेक्टिविटी के साथ ही उद्योगों की स्थापना के लिए जो इकनॉमिक रिफॉर्म्स का दौर शुरू किया है वह आरबीआई की ताजा रिपोर्ट में साफ परिलक्षित है। वर्ष 2013-14 से 2020-21 की अवधि में हिस्सेदारी का औसत प्रतिशत 04.40 रहा था। इसके बाद विगत दो वित्तीय वर्ष में बैंकों और वित्तीय संस्थाओं द्वारा स्वीकृत परियोजनाओं की कुल लागत हिस्सेदारी में अभूतपूर्व सुधार हुआ है। वर्ष 2021-22 में बैंकों व वित्तीय संस्थाओं द्वारा स्वीकृत परियोजनाओं की कुल लागत में यूपी की हिस्सेदारी 12.8 प्रतिशत रही थी, जो अन्य राज्यों की तुलना में सबसे बेहतर थी। तब भी इस मामले में यूपी नंबर वन था। फिर, वर्ष 2021-22 से 2022-23 के बीच महज एक वर्ष में इस हिस्सेदारी में 03.40 प्रतिशत की वृद्धि देखने को मिली है। 2013-14 से 2020-21 के बाद इन 02 वर्षों में बैंकों द्वारा परियोजनाओं की लागत में प्रदेश की हिस्सेदारी में 11.80 प्रतिशत की वृद्धि हो चुकी है। यह सीएम योगी के सुशासन और आर्थिक मामलों के प्रति उनकी दूरदृष्टि को इंगित करता है।

अन्य राज्यों की तुलना में यूपी में नियमित वृद्धि का रहा ट्रेंड
बैंकों व वित्तीय संस्थाओं से एकत्र किए गए परियोजनाओं के वित्त पोषण संबंधी आंकड़ों व एक्सपर्ट्स के कैलकुलेशन पर आधारित इस रिपोर्ट का एनालिसिस करने पर एक और बात स्पष्ट होती है और वह यह कि यूपी में बैंकों व वित्तीय संस्थाओं द्वारा स्वीकृत परियोजनाओं की कुल लागत हिस्सेदारी में नियमित वृद्धि का ट्रेंड रहा है। 2013-14 से 2020-21 के मध्य औसत 4.4 प्रतिशत के बाद 2021-22 में 12.8 प्रतिशत से होती हुई 2022-23 में यह वृद्धि 16.2 प्रतिशत पर पहुंच गई है। वहीं अन्य राज्यों में यह वृद्धि अनियमित है। किसी राज्य में अचानक एक वर्ष में वृद्धि हुई तो कहीं 2013-14 से 2020-21 के मध्य और 2021-22 व 2022-23 में इसके आंकड़ों में काफी उतार-चढ़ाव आया। कुछ राज्यों में तो वृद्धि की बजाय गिरावट दर्ज हुई है। मसलन, गुजरात में जो हिस्सेदारी 2013-14 से 2020-21 के बीच औसत 14.3 प्रतिशत थी वह 2022-23 में 14 पर है। यानी 0.30 प्रतिशत कम। ओडिशा में 2013-14 से 2020-21 के बीच जो हिस्सेदारी औसतन 04.5 प्रतिशत थी वह 2021-22 में लुढ़कर 02.20 प्रतिशत पर पहुंच गई। 2022-23 में इसमें अचानक वृद्धि हुई और यह 11.80 प्रतिशत पर आ गई। इसी तरह महाराष्ट्र में यह 2013-14 से 2020-21 के बीच औसतन 13 प्रतिशत से 2021-22 में 09.70 और 2022-23 में 07.90 प्रतिशत पर पहुंच गई है तो कर्नाटक में 2013-14 से 2020-21 के बीच औसतन 08.50 प्रतिशत से 2021-22 में 06.90 और 2022-23 में 07.30 प्रतिशत हिस्सेदारी रही है। इसी तरह अन्य राज्यों में हिस्सेदारी का प्रतिशत 2013-14 से 2020-21 के बीच औसतन 09.40 से लुढ़ककर 2021-22 में 04 और 2022-23 में 05.50 प्रतिशत पर पहुंच गई है।

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