Thursday, November 21, 2024

उपराष्ट्रपति ने किया विश्‍व के तीसरे ‘हिगाशी’ ऑटिज्म स्कूल का शुभारंभ

नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने यहां रविवार को हिगाशी ऑटिज्म स्कूल का उद्घाटन किया। टोक्यो और बोस्टन के बाद यह वैश्विक स्तर पर तीसरा हिगाशी ऑटिज्म स्कूल है। यहां ऑटिज्म से पीड़ित हर बच्चे की देखभाल की जाती है।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि वह मां ही है, जो विशेष जरूरतों वाले बच्चों के विकास को सुनिश्चित करने के लिए हर सुविधा का त्याग करते हुए सभी जिम्मेदारी अपने कंधों पर लेती है। उन्होंने पुरुषों से अपने जीवनसाथी के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम करने का आह्वान किया, जबकि बच्चे को ऑटिज्म की चुनौती का सामना करना पड़ता है और उसे मदद की जरूरत होती है। उन्होंने चुनौतियों का सामना करने के लिए अपने साथी को अकेला न छोड़ने के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि इस चुनौतीपूर्ण समय के दौरान उन्हें छोड़ना मानवता से मुंह मोड़ना माना जाएगा।

धनखड़ ने कहा कि जब कोई बच्चा ऑटिज्म की चुनौती का सामना कर रहा हो तो सभी के लिए एक ही दृष्टिकोण अपनाना ठीक नहीं होगा। उन्‍होंने इस बात पर जोर दिया कि प्रत्येक बच्चे की विशिष्ट आवश्यकताएं होती हैं, प्रत्येक बच्चा अलग होता है। उन्होंने कहा कि भले ही व्यक्तिगत जीवन में वे किसी भी चुनौती का सामना कर रहे हों हमें हमारे बच्चों को दुनिया के सामने लाकर उन्हें इसका सामना करना सिखाना चाहिए।

उपराष्ट्रपति ने योग थेरेपी (आईएवाईटी) और दैनिक जीवन थेरेपी के लिए एकीकृत दृष्टिकोण वाले पाठ्यक्रम की सराहना करते हुए विशेष बच्चों को सशक्त बनाने के लिए ऐसे दृष्टिकोणों को प्रभावशाली साधन बताया। विद्यालय दौरे को स्वयं के लिए एक आध्यात्मिक यात्रा बताते हुए उन्‍होंने मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक रूप से अपना सब कुछ देने के लिए शिक्षकों की सराहना की। उन्होंने कहा कि प्रत्येक बच्चे के भीतर मौजूद असीमित क्षमता का निखारने की जरूरत है।

इस अवसर पर विशेष बच्चों द्वारा अपने शिक्षकों के साथ सांस्कृतिक प्रस्तुति भी दी गई। कार्यक्रम में आरएसएस सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबले, हिगाशी ऑटिज्म स्कूल की चेयरपर्सन डॉ. रश्मि दास, संकाय सदस्य, अभिभावक और अन्य गणमान्य व्यक्ति शामिल हुए।

उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कहा कि विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के लिए गरिमापूर्ण जीवन सुनिश्चित करने के लिए सभी को एक साथ मिलकर प्रयास करने चाहिए, ताकि वे समाज में समावेशन की भावना हासिल कर सकें। उन्होंने ऐसे बच्चों के लिए एक ऐसे भविष्य बनाने की भी अपील की, जहां हम उनके जीवन को सुरक्षित और सार्थक बना सकें। –

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