Wednesday, May 8, 2024

लालू यादव के बिहार वापसी से बिहार राजनीति पर क्या फर्क पड़ेगा ?

मुज़फ्फर नगर लोकसभा सीट से आप किसे सांसद चुनना चाहते हैं |

किसी समय  बिहार की राजनीति में लालू प्रसाद यादव की तूती बोला कराती  थी। वह साल 1990 से लगातार सूबे के
मुख्यमंत्री बने हुए थे। लेकिन चारा घोटाले की जांच कर रही सीबीआई ने लालू यादव को गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तारी से
पहले लालू ने एक नारा दिया था- 'जब तक रहेगा समोसे में आलू, तब तक रहेगा बिहार में लालू'। यह नारा इतना मशहूर
हुआ कि आलू और लालू एक-दूसरे के पर्याय बन गए। उसके बाद  लालू यादव बीमार रहे । तब उन्हें दिल्ली के एम्स में
भर्ती कराया गया था । वह कई वर्षों से रांची स्थित जेल में बंद रहे । लेकिन भारतीय राजनीति में लालू यादव की जगह
शायद ही कोई ले सकता है। लालू प्रसाद यादव को करिश्माई नेता कहा जाता रहा है। उनका नाम देश के उन गिने-चुने
नेताओं में शामिल है, जिनके बारे में शायद सबसे ज़्यादा लिखा और सुना जाता रहा है। वह बॉलीवुड में भी उतने ही
लोकप्रिय रहे हैं, जितने कि पाकिस्तानी आवाम के बीच। अपने ठेठ देहाती अंदाज में जब लालू प्रसाद यादव
संसद, विधानसभा या किसी रैली में बोलते तो वहां हंसी के फव्वारे छूटने लगते। उनके रहने का अंदाज, पहनने का सलीका
और बात करने का तरीका ऐसा कि आम आदमी भी उन्हें अपना समझने लगे। वह कभी किसी बड़े नेता के अंदाज में नजर
नहीं आए, लेकिन जरूरत पड़ने पर बड़े-बड़े नेताओं की सियासी जमीन उनकी नाक के नीचे से खिसका दी।
अपनी किडनी की बीमारी के इलाज के लिए उन्हें सिंगापुर जाना पड़ा जहाँ उनकी किडनी का सफल प्रत्यारोपण हुआ ।
अब बिहार की राजनीति के जबरदस्त खिलाड़ी राजद सुप्रीमो  लालू प्रसाद यादव  के सिंगापुर से बिहार आगमन पर राज्य का
राजनीतिक गलियारा एक बार फिर से हरकत में आ गया है। सामाजिक न्याय के मसीहा कब किसकी राजनीति की बखिया

उधेड़ दें, यह समझना किसी के बस की बात नहीं। राजनीतिक विशेषज्ञ यह मानते हैं कि इस खास समय में सबसे ज्यादा
सावधान अगर कोई नेता होंगे तो वे हैं नीतीश कुमार। ऐसा इसलिए कि एक समय लालू प्रसाद और  नीतीश कुमार  की जोड़ी
राजनीतिक जगत में काफी मशहूर थी। 90 के दशक की तमाम नीतियों की नायक यही जोड़ी रही थी। सत्ता समीकरण को
पलटना और नया सत्ता समीकरण बनाने में इनका कोई सानी नहीं। लालू यादव की ताजपोशी को कैसे रघुनाथ पांडे को खड़ा
कर अंजाम दिया गया था, यहां के राजनीतिक गलियारों में यह आज भी चर्चा का विषय बनता रहा है। सो, नीतीश कुमार
उनकी जोड़ तोड़ की राजनीति के सबसे करीबी गवाह रहे होंगे। सो, इस खास समय में जब तेजस्वी की ताजपोशी को ले कर
राजद काफी उतावला है, ऐसे में राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद का आगमन राज्य की राजनीतिक दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण माना
जा रहा है।
जदयू नेता सलाम बेग का मानना है कि लालू यादव की बिहार वापसी से महागठबंधन को मजबूत धरातल मिलेगा। नीतीश
कुमार केंद्र की राजनीति करेंगे और देश की राजनीति से नरेंद्र मोदी को अपदस्थ करने के बाद 2025 का विधान सभा चुनाव
तेजस्वी यादव के नेतृत्व में लड़ेंगे।
बताया जाता है कि इस समय जेडीयू की ओर से उपेंद्र कुशवाहा तो आरजेडी की ओर से सुधाकर सिंह बागी हैं। उधर, कांग्रेस
दो और मंत्री पद के लिए हाथ-पैर मार रही है। जीतन राम मांझी की पार्टी भी नीतीश कुमार पर हमला साधती रहती है।
लालू सिंगापुर से लौटेंगे तो उनके सामने भी बिहार की महागठबंधन यानी कि उनकी सरकार को लेकर कई सारी चुनौतियां
होंगी। इनका फैसला लालू को करना होगा। आइए पांच खास बिंदुओं के बारे में जानते हैं कि वतन वापसी के बाद लालू के
सामने क्या-क्या चुनौतियां हो सकती हैं।
महागठबंधन सरकार में नीतीश की पार्टी जेडीयू और लालू की पार्टी आरजेडी मेन रोल में है। आरजेडी के विधायक पूर्व कृषि
मंत्री मुख्यमंत्री नीतीश पर जमकर बरसते रहते हैं। उनके खिलाफ बयानों की बौछार लगा देते और उनके कार्य, कार्यशैली पर
सवाल खड़े करते हैं। इसे लेकर आरजेडी पार्टी की ओर से सिंह को कारण बताओ नोटिस दिया गया था। जेडीयू समेत
महागठबंधन दल की अन्य पार्टियों ने सुधाकर मामले में तुरंत कार्रवाई की मांग की थी। अब आरजेडी को टेंशन है कि लालू
के आने के बाद फैसला होगा। तो आरजेडी सुप्रीमो को अपने बागी विधायक सुधाकर पर क्या फैसला ले सकते हैं? अब वह
क्या कार्रवाई करेंगे ये तो बाद में पता चलेगा।
जेडीयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने बीते दिनों आरजेडी और जेडीयू के बीच हुई किसी डील का खुलासा किया
था। उनका कहना हुआ कि दोनों पार्टी ने सरकार बनाने के लिए डील की थी। अब डील क्या थी इसके बारे में किसी को नहीं
पता। डील पॉलिटिक्स को लेकर विपक्ष और सत्ताधारी नेताओं की कई तरह की प्रक्रिया भी आई। लालू यादव के आने के बाद
उनसे इस तरह के सवाल किए जाएंगे और इन बातों पर लालू का क्या रिएक्शन होगा और जेडीयू नेता की डील वाली बात
को लालू कैसे लेंगे ये भी चुनौती हो सकती है। लालू को इस पर भी फैसला लेना पड़ सकता है।
बिहार महागठबंधन में कांग्रेस भी शामिल है। बिहार कांग्रेस की ओर से मंत्री पदों की मांग की गई है। अखिलेश प्रसाद सिंह
ने चार मंत्री पदों की मांग की है। हालांकि इसके लिए तेजस्वी तैयार नहीं हैं। लालू यादव लौटने के बाद इस मामले को भी
संज्ञान में ले सकते हैं। महागठबंधन की पार्टियों को समझाने के लिए लालू यादव प्रयास कर सकते हैं। ये भी उनके लिए
चुनौती होगी।
कई दफे नीतीश कुमार कह चुके कि तेजस्वी को आगे बढ़ाना है। इन बातों पर उपेंद्र कुशवाहा को भी नाराजगी रही है।
मुख्यमंत्री अपनी पार्टी के लोगों को छोड़ किसी और को आगे बढ़ा रहे। अब चर्चा रही कि नीतीश देश की राजनीति करेंगे तो

Royal Bulletin के साथ जुड़ने के लिए अभी Like, Follow और Subscribe करें |

 

बिहार की गद्दी तेजस्वी को जाएगी। इस पर जेडीयू और आरजेडी में भी खिटपिट हो गई। नीतीश कुमार ने महागठबंधन
धर्म का पालन किया और कुशवाहा को छोड़ दिया। उधर, वो आए दिन खुलासा करने की बात कहते रहते।
लोकसभा चुनाव 2024 के लिए लालू यादव रणनीति अपनाएंगे और अपनी पार्टी को और भी मजबूत बनाने का मंत्र देंगे।
अब देखना ये होगा कि क्या नीतीश कुमार देश की राजनीति में उतरेंगे या नहीं। इसके लिए आरजेडी का सपोर्ट अहम होगा
और सुप्रीम लालू प्रसाद के फैसले यहां सबसे महत्वपूर्ण होते। हालांकि देखा जाए तो लालू की सेहत बहुत अच्छी नहीं है।
अभी किडनी ट्रांसप्लांट को दो महीने ही हुए हैं, लेकिन पार्टी को वह हर तरह से गाइड करते हैं। बिहार में महागठबंधन
सरकार के भविष्य को लेकर भी वह सजग हैं। इसके लिए भी जरूरी मीटिंग कर सकते हैं।
आज भाजपा के नेता भी लालू यादव के लिए उनके जल्द स्वस्थ होने की प्रार्थना कर रहे हैं, लेकिन साथ ही नसीहत  व
चेतावनी भी दे रहे हैं। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल ने कहा कि यह खुशी की बात है कि लालू प्रसाद यादव अपना
इलाज करवाकर अपने देश लौट रहे हैं। उनकी बेटी रोहिणी आचार्य ने अपना गुर्दा दान दिया है। अब लालू प्रसाद
यादव 1991 में जो तेवर उन्होंने दिखाया था वह कृपया कर न दिखाएं। 10 हजार करोड़ का जो चारा घोटाला किए थे, वह
ना करें। मैं हाथ जोड़ कर प्रार्थना करता हूं। संजय जायसवाल ने कहा, उनकी उम्र भी हो गई है। गुर्दा परिवार के सदस्य से
दान में मिला है। 4 साल जेल जाने के बाद अब लालू प्रसाद यादव 91 वाली कोई हरकत नहीं करेंगे, और किसी ने श्याम
बिहारी प्रसाद सिन्हा को पैदा कर एक बड़ा घोटाला नहीं करेंगे यह उम्मीद में उनसे इस उम्र में जरूर करूंगा। लालू प्रसाद
यादव को लेकर दूसरी ओर भारत सरकार के गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने कहा कि लालू यादव जल्द स्वस्थ हो इसके
लिए मैं भगवान से प्रार्थना करता हूं। उनकी तबीयत जब पिछली बार खराब हुई थी और वह दिल्ली एम्स में भर्ती हुए थे।
उस वक्त जाकर के भी मैंने उनसे मुलाकात की थी। इस बार भी जब सिंगापुर में उनका गुर्दा ट्रांसप्लांट हो रहा था तो लालू
यादव के करीबियों से मेरी बात हुई थी और मैंने उनका हालचाल जाना था। वह जल्द स्वस्थ हो जाए हम सबके लिए खुशी
की बात होगी।
-अशोक भाटिया

Related Articles

STAY CONNECTED

74,237FansLike
5,309FollowersFollow
47,101SubscribersSubscribe

ताज़ा समाचार

सर्वाधिक लोकप्रिय