मुजफ्फरनगर। विद्युत विभाग द्वारा की गई 72 घंटे की हड़ताल ज्वलंत समस्या वह मुद्दा है, सबको पता है कि यह हड़ताल पूर्व घोषित थी, उसके बावजूद ना ही तो इस हड़ताल को रोकने का कोई उपाय शासन या प्रशासन द्वारा किया गया और ना ही उपयुक्त साधनों की व्यवस्था की गई, जो विद्युत आपूर्ति को सुचारू रखने में सहायक सिद्ध हो सके । आज विद्युत व्यवस्था एक ऐसी व्यवस्था है, जिसका प्रभाव आम जनमानस की दिनचर्या से जुड़ा हुआ है।
रोशनी से लेकर रसोई तक का कार्य विद्युत से संबंधित है, स्कूलों में बच्चों की परीक्षाएं चल रही हैं, वह भी प्रभावित हो रहे हैं, इस हड़ताल से। यह भी पोल खुली है कि पिछले कई वर्षों से जो बिजली विभाग द्वारा कार्यों को उपयुक्त बताने का संदेश दिया जा रहा था, अभी 24 घंटे भी हड़ताल को नहीं हुए और जो साधन विद्युत आपूर्ति में प्रयुक्त है, उनकी गुणवत्ता और उनकी मजबूती की पोल भी खुल गई है कि बिना कर्मचारी के यह साधन और संयंत्र कितने दिन काम कर सकते हैं, क्या यही साधन और संयंत्र व्यवस्था है कि बारिश की कुछ बूंदे पडते ही ट्रांसफार्मर ध्वस्त हो जाते हैं, लाइने शार्ट हो जाती हैं, ऐसा लगता है।
मानो विद्युत विभाग द्वारा भी कई वर्षों से विद्युत कार्यों की लीपापोती ही की जा रही थी, कुछ भी हो शासन व प्रशासन द्वारा इस हड़ताल को समाप्त करने के लिए उचित कदम उठाने चाहिए यदि विद्युत कर्मियों की मांगी जाए हैं, तो उनकी मांग मानकर विद्युत व्यवस्था को सुचारू करवाना चाहिए।
यदि ज्यादा दिन यह व्यवस्था ब्रेक रही तो आम जनमानस को बहुत बड़ी असुविधा का सामना करना पड़ेगा, भाकियू के जिला मीडिया प्रभारी शक्ति सिंह ने मांग की है कि शासन व प्रशासन को इस समस्या का जल्द से जल्द समाधान ढूंढ कर जनहित में निर्णय करना चाहिए।