Sunday, February 23, 2025

अवध ओझा ने बीजेपी को क्यों कहा ‘फर्जी राम वाले’

 

नई दिल्ली। आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर दिल्ली की राजनीति में भगवान राम का नाम जोर-शोर से उछल रहा है। आम आदमी पार्टी (AAP) और भारतीय जनता पार्टी (BJP) दोनों ही खुद को बड़ा और सच्चा राम भक्त साबित करने में जुटी हुई हैं। इस दौरान AAP प्रमुख अरविंद केजरीवाल और पार्टी के नेता अवध ओझा के बयानों ने सियासी माहौल को और गर्मा दिया है।

पटपड़गंज से AAP के उम्मीदवार अवध ओझा ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि “हम असली राम वाले हैं, जबकि वे फर्जी राम वाले हैं।” उन्होंने भगवान राम को पाने के लिए ‘T+T=T’ (त्याग + तपस्या = तमन्ना) का फॉर्मूला दिया। ओझा ने कहा, “भगवान राम संसार के लिए आदर्श हैं और उनके आदर्शों पर चलकर ही जीवन में कुछ पाया जा सकता है।”

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ओझा ने आगे कहा, “भगवान राम श्री बनकर राजमहल से निकले और प्रभु राम बनकर लौटे। वे हर प्राणी और हर जीव के लिए आदर्श हैं।” उन्होंने भगवान राम को संघर्ष और तपस्या का प्रतीक बताया।

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इससे पहले AAP प्रमुख अरविंद केजरीवाल ने एक चुनावी सभा में रामायण का हवाला देते हुए सीताहरण की घटना को संदर्भित किया। हालांकि, उन्होंने गलती से कहा कि “सोने के हिरण के रूप में आए रावण ने सीता का अपहरण किया, जब भगवान राम भोजन की तलाश में बाहर गए थे।”

भाजपा नेताओं ने इस बयान पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए इसे रामायण की गलत व्याख्या बताया। भाजपा ने स्पष्ट किया कि सोने का हिरण रावण नहीं, बल्कि मारीच था, जिसने यह रूप धारण किया था।

 

दिल्ली भाजपा अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने केजरीवाल को ‘अधर्मी’ करार देते हुए उनके खिलाफ उपवास का ऐलान किया। उन्होंने कहा कि “रामायण का अपमान करके केजरीवाल ने भगवान राम और माता सीता का अपमान किया है।”

केजरीवाल ने भाजपा के आरोपों का जवाब देते हुए कहा, “भाजपा रावण के सम्मान में प्रदर्शन कर रही है। वे मेरे घर के बाहर धरने पर बैठे हैं कि मैंने रावण का अपमान क्यों किया। इससे उनकी राक्षसी प्रवृत्ति उजागर होती है।”

 

दिल्ली की राजनीति में राम भक्त होने की यह होड़ चुनाव प्रचार का मुख्य मुद्दा बन गई है। भाजपा और AAP दोनों ही अपने-अपने तरीके से भगवान राम के आदर्शों को जनता के सामने पेश कर रहे हैं। जहां एक ओर भाजपा केजरीवाल के बयान को लेकर हमलावर है, वहीं AAP इसे भाजपा की विचारधारा पर सवाल उठाने का मौका मान रही है।

चुनाव नजदीक होने के साथ यह देखना दिलचस्प होगा कि राम भक्त होने की यह होड़ मतदाताओं को कितना प्रभावित करती है।

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