मनुष्य जीवन के सम्बन्ध में एक विशेष बात बहुत आवश्यक और महत्वपूर्ण है कि मनुष्य को प्रत्येक क्षण किसी न किसी जानकारी को प्राप्त करने की जिज्ञासा रहनी चाहिए। नई-नई जानकारी प्राप्त कर वह अपने ज्ञान में वृद्धि करता रहे, विज्ञान, लौकिक ज्ञान और आध्यात्मिक ज्ञान की प्राप्ति में लगा रहे।
लौकिक ज्ञान से मनुष्य को एक-दूसरे के साथ व्यवहार करने की सही जानकारी मिलती है और आत्म ज्ञान से वह आध्यात्म में आगे बढ़ता है। मनुष्य अपने लिए तो सुख-सुविधा प्राप्त करने के लिए भौतिक पदार्थों की प्राप्ति तथा संग्रह करता है, किन्तु उसे दूसरों को सुख पहुँचाना और उनके दुखों को दूर करने का प्रयत्न भी करना चाहिए।
स्वार्थ के दायरे से निकलकर परमार्थ के साधन में भी लगना चाहिए, जो व्यक्ति जितना अधिक दूसरों को सुख पहुंचाता है, जितना वह दूसरों के दुखों और क्लेशों को दूर करता है, जितना अधिक वह दूसरों के काम आता है, उतना ही अधिक उसने अपने जीवन को सार्थक कर लिया। जिसने लोकसेवा को भगवत्सेवा मान लिया, उसने समझो अपने जीवन का उद्देश्य पूरा कर लिया।