Friday, April 18, 2025

अनमोल वचन

आदर की भावना से हृदय की पवित्रता, बुद्धि की निर्मलता एवं स्वभाव की उत्कृष्ठता का परिचय मिलता है। व्यक्ति आदर देकर ही आदर पाने का पात्र बनता है।

आज्ञा-पालन और अभिवादन आदर देने की महत्वपूर्ण विद्या है। इससे व्यक्ति के नैतिक रूप से सुन्दर उन्नत चरित्र के बारे में ज्ञात होता है, परन्तु उदंडता स्वभाव को पतनोमुख बना डालती है। इसके प्रभाव से समाज की संस्कृति विकृत हो जाती है।

उदंड लोग अनादर करने में अधिक रूचि लेते हैं, क्योंकि उनकी बुद्धि भ्रष्ट बनी रहती है। अनेकानेक प्रेरणाएं पाकर भी उनकी बुद्धि निर्मल नहीं होती और आदर का भाव अन्तकरण में जागृत नहीं होता। वास्तव में यह उनके पूर्व जन्मों के प्रारब्ध और दोषपूर्ण कुसंस्कार हैं।

सच्चाई यह है कि आदरणीय व्यक्ति को आदर देने से व्यक्ति के शुभ संस्कारों में वृद्धि होती है। जब व्यक्ति अपने मित्र परिवार, बड़े बुजुर्ग, गुरू, अभिभावक को आदर देता है, तो आदर देने वाला और आदर पाने वाला दोनों ही लाभान्वित होते हैं। दोनों के मन, हृदय, प्रसन्न प्रफुल्लित एवं उल्लासित हो जाते हैं। मन के मैल साफ हो जाते हैं। वातावरण में सकारात्मक, सृजनात्मक विचारों में वृद्धि होती है। आत्मा निष्पाप और निष्कलंक हो जाती है।

यह भी पढ़ें :  अनमोल वचन
- Advertisement -

Royal Bulletin के साथ जुड़ने के लिए अभी Like, Follow और Subscribe करें |

 

Related Articles

STAY CONNECTED

76,719FansLike
5,532FollowersFollow
150,089SubscribersSubscribe

ताज़ा समाचार

सर्वाधिक लोकप्रिय