Wednesday, November 6, 2024

अनमोल वचन

परमात्मा एक है, परन्तु उस तक पहुंचने के मार्ग अनेक हैं। परमात्मा एक है, परन्तु क्षेत्र भाषा भेद के आधार पर उसके नाम अनेक हैं। साध्य अर्थात लक्ष्य एक है, परन्तु उसे प्राप्त करने के साधन अनेक हैं। किसी भी लक्ष्य या मंजिल तक पहुंचने का मार्ग एक ही हो, ऐसा मानना भ्रम है। व्यक्ति अपने रूचि, समझ, पूर्व जन्मों के संस्कार, गुण-अवगुण की न्यूनाधिकता वातावरण आदि के अनुसार ही अपने मार्ग का चुनाव करता है। अनेकों मार्ग होते हुए भी व्यक्ति अपनी रूचि के अनुसार प्रभु भक्ति के मार्ग पर चलता है। जैसे एक ही हिमालय से प्रवाहित गंगा, जमुना, सरस्वती मीलों दूरी तक करती हुई प्रयाग में एक साथ मिलकर संगम का रूप धारण कर लेती है, वैसे ही मानव भी अपनी-अपनी आस्थाओं के अनुसार धर्माचरण और सत्कर्म करते हुए एक दिन सर्वशक्तिमान प्रभु में विलीन हो जाता है अत: प्रभु प्राप्ति के लिए अपनाये गये किसी भी मार्ग की निंदा न करें। अपने लक्ष्य पर दृष्टि रखे। अपने भीतर के दोषों को भी दूर करते रहो। निर्मल मन से उसका स्मरण करो, क्योंकि मन की मलिनता प्रभु को पसंद नहीं। दूसरे क्या कहते हैं, क्या करते हैं, किस मार्ग का अनुसरण करते हैं, उनकी आस्था का स्वरूप क्या है इस ओर न देखकर अपने मार्ग पर बढते रहो। लक्ष्य को प्राप्त करने का जज्बा बना रहना चाहिए। एकाग्रता बनी रहनी चाहिए। धैर्य के साथ लक्ष्य सिद्धि के प्रयास में समर्पित रहोगे तो एक दिन सफलता अवश्य मिलेगी।

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