Saturday, November 23, 2024

अनमोल वचन

अच्छा खाने, अच्छा पहनने और भोग विलास में लिप्त रहने से मनुष्य बड़ा नहीं बनता, बल्कि धर्म, दान आदि शुभ कर्म करने से मनुष्य बड़ा बनता है। यह शुभ अवसर भी मानव योनि में ही प्राप्त हो पाता है। स्मरण रहना चाहिए कि तुम्हारे पास यह सुन्दर शरीर सदा नहीं रहेगा। यह बच्चे से जवान हुआ फिर बूढ़ा होकर मृत्यु को भी प्राप्त होगा। इसलिए मृत्यु से पहले जितने भी अच्छे कर्म कर सको कर लो अन्यथा अन्तिम समय पश्चाताप ही हाथ लगेगा। खाना, सोना, डरना और मैथुन ये कर्म पशु और मनुष्य में समान है। केवल धर्म ही मनुष्य को पशुओं से अलग करता है। धर्म ही मनुष्य को महत्वपूर्ण बनाता है। केवल मनुष्य ही धर्म को समझ सकता है, ईश्वर की भक्ति कर सकता है, यज्ञ दान कर सकता है। यदि मनुष्य भी धर्म से अलग रहे तो वह पशुओं के समान है। पशु तो फिर भी भोग योनि में है वह जो क्रियाएं करता है, उसका उसे न पुण्य मिलता है न पाप मिलता है, परन्तु मनुष्य योनि तो कर्म योनि है और भोग योनि भी। कर्म करने का अवसर मनुष्य योनि में ही प्राप्त होता है। मनुष्य जो भी करेगा यदि वह धर्म की कसौटी पर खरा है तो पुण्य और जो धर्म विरूद्ध है वह पाप है। उसका फल उसे कष्ट और दुखों के रूप में भोगना ही पड़ेगा। इसलिए विवेक का प्रयोग कर मनुष्य को पुण्य और शुभ कर्म ही करने चाहिए।

- Advertisement -

Royal Bulletin के साथ जुड़ने के लिए अभी Like, Follow और Subscribe करें |

 

Related Articles

STAY CONNECTED

74,306FansLike
5,466FollowersFollow
131,499SubscribersSubscribe

ताज़ा समाचार

सर्वाधिक लोकप्रिय