Monday, December 23, 2024

अनमोल वचन

सर्वविदित है कि जीवात्मा को यह मानव शरीर एक निश्चित अवधि के लिए प्राप्त हुआ है। उस अवधि तक ‘मैं’ अर्थात आत्मा इस शरीर और इसमें स्थित इन्द्रियों का स्वामी है। यह शरीर यदि इसके स्वामी आत्मा के आदेश पर चलता है तो हम सभी चेतना में जीवन जीते रहेंगे।

होशपूर्ण अवस्था में सतत जागृत अवस्था में जीवन चलता रहेगा, जब हम चाहेंगे अतीत में जायेंगे, जब चाहेंगे भविष्य में जायेंगे अथवा वर्तमान में रहेंगे। अभी हमें पता ही नहीं है। हमारा अधिकांश समय तो अतीत में या फिर भविष्य में ही निकल जाता है और इन दोनों के मध्य वर्तमान बीता जा रहा है। यह असंतुलन ही हमारे उलझाव का, हमारी भटकन का कारण है।

मन यदि संतुलित रहे तो इसके लिए आवश्यक है कि हम वर्तमान में रहे। वर्तमान के आते ही मन की मृत्यु हो जाती है। मन को जिंदा रखने के लिए अतीत या भविष्य की खुराक चाहिए। अतीत या भविष्य में विचार के माध्यम से ही पहुंचा जा सकता है। वर्तमान में विचार नहीं हो सकता। वर्तमान में तो मात्र साक्षी का भाव ही रहेगा। इसलिए वर्तमान में रहो, वर्तमान में जियो ताकि मन हावी न हो, तभी जीवन के यथार्थ का बोध हो पायेगा।

- Advertisement -

Royal Bulletin के साथ जुड़ने के लिए अभी Like, Follow और Subscribe करें |

 

Related Articles

STAY CONNECTED

74,303FansLike
5,477FollowersFollow
135,704SubscribersSubscribe

ताज़ा समाचार

सर्वाधिक लोकप्रिय