Wednesday, May 7, 2025

अनमोल वचन

जो हो चुका, जो बीत चुका उसकी स्मृति में और जो नहीं है उसकी चिंता में चित्त अशुद्ध होता है। हो चुका में केवल हमारी स्मृतियां शेष है वह अपने उस रूप में अस्तित्व में है ही नहीं। बचपन हो चुका, पुण्य हो चुका, पाप हो चुका, दुख हो चुका, मित्र-मित्र में, भाई-भाई में, सास-बहु में झगड़ा हो चुका।

झगड़ा करते समय चेहरे पर कैसे भाव थे, चेहरा कैसा लग रहा था वैसा अब नहीं रहा। उस भाव की, उस भाव भंगिमा की भी केवल स्मृतियां बची है, फिर क्यों उन्हें याद करके अपने चित्त को अशुद्ध किये जा रहे हैं, अपनी शक्तियों को अपनी ऊर्जा को क्षीण कर रहे हैं, उनके विषय में सोचना ही छोड़ दे।

अपने वर्तमान की सोचे, अपने भविष्य को संवारने की सोचे। वही सोचते रहोगे, जिसके बारे में सोचना नहीं चाहिए तो चित्त विकृत होगा ही, क्योंकि जैसा चिंतन होगा आचरण भी वैसा ही होगा। कीचड़ में रहोगे तो फिसलोंगे जरूर, आग के साथ बैठोगे तो जलोगे जरूर, लड़ाई-झगड़े वाले फसादी लोगों के बीच में बैठोगे तो तनाव अवश्य आयेगा, अधिक धन कमाओगे तो लोभ-लालच ही बढ़ेगा।

मन की शान्ति चाहिए तो सोच बदलनी ही होगी। प्रभु का ध्यान रखते हुए अपने सांसारिक कर्तव्यों को पूरा करते रहे, निरर्थक बातों में अपना समय नष्ट न करें। आपका चिंतन केवल रचनात्मक और सकारात्मक होना चाहिए।

- Advertisement -

Royal Bulletin के साथ जुड़ने के लिए अभी Like, Follow और Subscribe करें |

 

Related Articles

STAY CONNECTED

80,337FansLike
5,552FollowersFollow
151,200SubscribersSubscribe

ताज़ा समाचार

सर्वाधिक लोकप्रिय