आज रामनवमी है अर्थात मर्यादा पुरूषोत्तम भगवान राम की जन्म जयंती। इस पुनीत अवसर पर जन्म से सम्बन्धित प्रसंगों का स्मरण सामयिक होगा।
पौराणिक मान्यता के अनुसार, भक्तों की प्रार्थना पर भगवान विष्णु ने निराकर से साकार रूप धारण किया। गुरू वशिष्ठ ने राजा दशरथ से कहा कि महाराज यह श्याम शिशु आनन्द का समुद्र है। ब्रह्मांड के समस्त सुख केन्द्रियभूत होकर इस शिशु में निवास करते हैं। यह शिशु अपने आनन्द सिंधू के एक बिन्दू से ही त्रैलोक्य को सुख का वितरण कर देता है। इस सुख के निवास स्वरूप बालक का नाम है राम। यह राम समस्त लोगों को विश्राम देने वाला है।
गोस्वामी तुलसीदास लिखते हैं ”जो आनन्द सिंधु सुखरासी, सीकर ते त्रैलोक सुपासी। सो सुख धाम राम असु नामा, अखिल लोक दायक विश्रामा।।” भगवान के अनेक नाम है, परन्तु राम नाम समस्त नामों में सरल और अक्षर मात्रा की दृष्टि से लघु प्रतीत होता है। भगवान के सभी नामों की अपनी महिमा है, किन्तु सबसे संक्षिप्त नाम है राम।
प्रणव अक्षर ओइम् के अतिरिक्त कोई और नाम इतना छोटा नहीं है, किन्तु राम का उच्चारण ओइम् के उच्चारण से भी सरल है। इसी सरलता, सुगमता और मधुरता के कारण भी राम नाम जन सामान्य के लिए सर्वाधिक ग्राह्य है।