जो हमने कल किया था वही आज कर रहे हैं, वही कल फिर करेंगे। हम यह स्मरण नहीं रखते कि जो कल किया था वह कल का था, जो आज कर रहे हैं वह बिल्कुल नया है।
नये को नये की भांति करो। जीवन को ऐसे जियो जैसे आप पहली-पहली बार गाडी चलाना सीख रहे हो या फिर ऐसे जैसे एक बच्चा पहली-पहली बार चलना सीखता है। वह पुन:-पुन: गिरता है और पुन:-पुन: नवीन उत्साह और उमंग के साथ उठ खड़ा होता है। पुन:-पुन: नये-नये ढंग से अपने शरीर का संतुलन बनाने का प्रयास करता है। ऐसे ही आप जीवन जियो।
सामान्य ढंग से जैसे आप जी रहे हैं ऐसे जीवन के आदी मत बनो। खंड-खंड में जीवन को जीओ। प्रत्येक क्षण को नये क्षण की तरह जीओ। प्रत्येक क्षण को जागकर, अनुभव करके, भली-भांति टटोलकर जीओ। हमारे चलने में समरता नहीं उतर पाती है। उठने-बैठने, बोलने, खाने और सोने में भी हम तटस्थ बने रहते हैं। हमारी इन क्रियाओं में लय का अभाव रहता है। हम लयबद्ध तरीके से जीवन जीने की कला नहीं सीख पाते जिसका श्रृंखलाबद्ध ढंग से जीवन जीने के लिए सीखना बहुत जरूरी है।