आप धार्मिक है, धर्म के प्रति निष्ठावान हैं, आप प्रभु भक्त हैं, इसके लिए प्रमाण किसी दूसरे से नहीं, स्वयं से लें। उसके लिए निर्धारित मानक है। वह ऐसे कि आप स्वयं को कसौटी पर कसे, आप स्वयं अपनी परीक्षा लें। देखें कि आप सभी जीवों के प्रति सत्याचरण के साथ प्रेमपूर्वक व्यवहार करते हैं। सभी जीवों से तात्पर्य मानव के इतर अन्य प्राणियों से भी है।
ईर्ष्या द्वेष से रहित होकर आप क्या सभी के लिए शुभ की कामना करते हैं। मन, वाणी और कर्म से किसी का अहित तो नहीं करते? क्या आप अपनी पवित्र कमाई से ही अपना जीवन यापन करते हैं? क्या आप अपने पारिवारिक, सामाजिक तथा राष्ट्रीय उत्तरदायित्वों के प्रति निष्ठावान हैं?
पड़ौसी यदि भूखा है क्या आप फिर भी भोजन तो नहीं कर लेते? किसी के साथ किसी भी स्तर पर विश्वासघात तो नहीं करते? क्या किसी भी व्यक्ति की किसी भी स्तर की हक तल्फी तो आपने अपने जीवन में नहीं की? क्या आपने अपने प्रति किये गये किसी उपकार का उत्तर प्रत्युपकार के सापेक्ष उसका अपकार करके तो नहीं किया?
क्या आप अपने दुखों का कारण अपने पूर्व कर्मों का परिणाम और अपनी उपलब्धियों को प्रभु कृपा मानते हैं अथवा उन उपलब्धियों का श्रेय स्वयं को देते हैं। इन मानको पर आप खरा उतरते हैं तो आप धार्मिक भी हैं और प्रभु भक्त भी हैं।