हम सबका जीवन सुख-दुख, अनुकूल-प्रतिकूल, अच्छी-बुरी परिस्थितियों का मिश्रित रूप है। यहां सब कुछ हमारी इच्छाओं के अनुसार नहीं होता। अनुकूलताएं एवं प्रतिकूलताएं आती-जाती रहती हैं। जब जीवन में कठिनाईयां, असुविधाएं तथा समस्याएं आती हैं तो मानसिक तनाव और शारीरिक थकान होना स्वाभाविक है। ऐसी स्थिति में आत्मरक्षा का एक ही कारगर उपाय है-हर समय प्रसन्न रहने के लिए हंसने मुस्कराने का सहारा लिया जाये। हंसते हंसते रहने से विषम परिस्थितियों में भी जीवन की गाड़ी आसानी से आगे बढ़ती जाती है। निराशा, उदासी, खिन्नता को दूर करने और भारी मन को हल्का करने में हंसने मुस्कराने से उत्तम उपाय कोई दूसरा नहीं है। इसके लिए स्वस्थ मनोरंजन, मनोविनोद, हंसी-खुशी के प्रसंगों को अपनी दिनचर्या में अधिक से अधिक स्थान दिया जाये। ईश्वर ने सभी प्राणियों में केवल मानव को हंसने मुस्कराने की विशेषता प्रदान कर एक अनुपम उपहार दिया है, जिसका उपयोग कर उस उपहार का सम्मान किया जाये। हर समय मुंह लटकाये, मनहूस गमगीन चेहरा बनाकर रहना परमात्मा के उस वरदान का निरादर करना है।