जहां सूर्य की किरण हो वहीं प्रकाश होता है। जहां प्रेम की भाषा हो वहीं परिवार होता है। राग-द्वेष, निंदा, चुगली, घृणा तथा लड़ाई झगड़े से रहित स्वच्छ घर ही घरती का स्वर्ग है। अत: उपरोक्त दोषों से रहित बंगला, कोठी, झोपड़ी जो भी हो वही सुन्दर सात्विक स्थान ही आदर्श गृहस्थी का निवास है। असफलता मिलने के बावजूद असफलता की ठोकरों से भयभीत होकर अपनी राह बदल देना उचित नहीं। असफलता के पश्चात भी प्रयास जारी रखने चाहिए, क्योंकि लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती, कोशिश करते रहने वालों की हार नहीं होती। अद्भुत है भावो का संसार। भावो से ही हमारा जीवन और भावो से ही हमारा आनन्द है। यदि भाव हैं तो फिर पाषाण, पाषाण नहीं भगवान है। यदि भाव नहीं तो हमारे सम्मुख परमपिता परमात्मा भी आ जाये तो हम अपने माथे को नहीं झुका सकते, परन्तु श्रद्धा से एक पत्थर को सिंदूर चढ़ाते ही वह हनुमन्त लाल होकर प्रकट हो जाते हैं। ये भावो का ही प्रभाव है। भाव ही रसायन है। भाव शून्य व्यक्ति समाज में भी सम्मान की दृष्टि से नहीं देखा जाता, क्योंकि उसे संवेदनहीन माना जाता है।