मृग शेर के सामने हो, परन्तु शेर उसके शिकार के लिए परिश्रम न करे तो मृग शेर के मुख में स्वयं नहीं जायेगा। कुछ पाने के लिए परिश्रम करना अनिवार्य है, जो व्यक्ति सृष्टि क्रम चलाने के लिए पुरूषार्थ नहीं करते वह जीवन में कभी सफलता प्राप्त कर ही नहीं सकते। कर्मशील व्यक्ति ही भाग्य बनाना जानते हैं। गिलास में पानी तभी भरता है, जब हम उसे पानी की टोंटी के नीचे रखकर पानी भरने का प्रयास करते हैं। कर्मशीलता के साथ विनम्रता बहुत आवश्यक है। विनम्रता रहेगी तो आपकी व्यवहार कुशलता में भी वृद्धि होगी, क्योंकि व्यवहार कुशलता के अभाव में दूसरों का अपेक्षित सहयोग भी नहीं मिल पायेगा। किसी भी कार्य की सफलता में दूसरों का सहयोग बहुत जरूरी है। बिना सहयोग सफलता संदिग्ध ही रहेगी। अच्छा व्यवहार आपके प्रयासों को सफलता शीघ्र दिलाता है। विनम्रता रहेगी तो परमात्मा की भक्ति में भी मन लगेगा। जो कुछ भी करे निष्कपट मन से करें। शुचिता और पवित्रता का विशेष ध्यान रखें। जिन व्यक्तियों में कर्मशीलता, विनम्रता, व्यवहार कुशलता, निष्कपटता, शुचिता और पवित्रता के गुण होंगे उनके ऊपर प्रभु सदैव कृपालु रहते हैं, क्योंकि परमात्मा को ये चीजें बहुत ही प्यारी हैं।