प्रत्येक मनुष्य व्यापारी है। दाम (धन रूपया) ले रहा है। दम (शारीरिक शक्ति) दे रहा है। दिन-दिन दाम तो बेशक बढ़ता जायेगा, किन्तु दम घटना जायेगा। दाम बढ़ते-बढ़ते किसी दिन लोहे की पेटी (तिजोरी) दाम से भर जायेगी, किन्तु दम घटते-घटते किसी दिन चमड़े की पेटी (शरीर) दम से खाली जो जायेगा।
सोचो जिस दिन दम से यह शरीर खाली हो जायेगा उस दिन दाम से भरी पेटी का क्या मूल्य? वह तुम्हारे क्या काम आयेगी। यह उत्तम मानव जीवन केवल दाम कमाने के लिए नहीं मिला। इससे कुछ दाम कमाने के साथ-साथ कुछ नाम भी कमा लो अर्थात कुछ शुभ कर्मों की पूंजी भी एकत्र कर लो। दाम इस चाम (शरीर) के काम आयेगा और नाम आत्मा राम अर्थात स्वयं के काम आयेगा। दाम इस लोक में साथ देगा और नाम (प्रभु स्मरण) लोक-परलोक दोनों में साथ देगा, मन को शांत करेगा तथा मुक्ति का मार्ग खोलेगा।
धन तो इसी लोक में साथ देगा, परन्तु प्रभु का नाम स्मरण लोक-परलोक दोनों में साथ देगा। धन तो केवल शरीर निर्वाह के लिए है, परन्तु प्रभु का नाम मुक्ति की प्राप्ति के लिए। इसलिए नैतिक मार्ग से धन कमाओ साथ ही प्रभु का स्मरण भी करते रहो।