जब लक्ष्य सामने हो तो हमें आगे बढऩे में तो किंकर्त्तव्य विमुढ़ता आ जाती है। इसलिए पहले लक्ष्य स्पष्ट करे फिर उसे पाने को एक निश्चित योजना बनायें। इसके पश्चात ही उसकी सफलता के लिए योजनानुसार सुचारू रूप से उसका पालन किया जाये, किन्तु सफलता के लिए लक्ष्य के प्रति निष्ठा, परिश्रम और ईमानदारी पहली शर्त है।
यदि कार्य के मध्य किसी अवरोध के कारण निराशा छा जाये तो महापुरूषों के जीवन चरित्र पढ़ें, उनसे प्रेरणा लें। कोई मनुष्य तत्काल महामानव नहीं बन सकता। पहले छोटे लक्ष्य निर्धारित करें फिर धीरे-धीरे बड़े कार्यों की ओर बढ़े फ्रैंकलिन रूजवेल्ट जैसे महान आदमी एक दिन में महान नहीं बने। वर्षों की ईमानदारी और परिश्रम ने ही उन्हें महान बनाया। साधारण हैसियत का वह व्यक्ति जिसने अपना जीवन प्रिंटिंग प्रेस की एक मामूली नौकरी से शुरू किया।
वह ऐसा महान वैज्ञानिक और राजनीतिज्ञ बना कि विश्व इतिहास में अपना नाम अमर कर गया। उसकी सफलता का श्रेय उसके परिश्रम, ईमानदारी और लक्ष्य के प्रति निष्ठा ही तो थी। उनका जीवन चरित्र हर निराश व्यक्ति को प्रेरणा दे सकता है। ईमानदारी, परिश्रम और कार्य के प्रति निष्ठा का पाठ पढ़ा सकता है।