जो घट गया वह अतीत हो गया। पल भर पहले जो वर्तमान था वह क्षणभर में भूतकाल में विलीन हो गया। जीवन में वर्तमान ही महत्वपूर्ण होता है। वर्तमान को संवारना ही साधना है। अतीत इतिहास बनकर वर्तमान के साथ साये की भांति चलता है। वर्तमान को अतीत सर्वाधिक प्रभावित भी करता है, बहुधा ऐसा होता है कि जब हम अपने जीवन में घट चुकी किसी घटना, बीते हुए पल या समाप्त हुए सम्बन्ध को लेकर चिंतन में डूबे रहते हैं, तो ऐसे समय हम वर्तमान में सांस लेते हुए भी अतीत में ही जीते हुए अनुभव करते हैं। अतीत कितना भी सुखद रहा हो, वह वर्तमान का श्रृंगार नहीं हो सकता। अतीत से कुछ नसीहत मिल रही हो तो भी किसी सीमा तक ठीक है अन्यथा तो हम अपने मूल्यवान वर्तमान को खो रहे होते हैं। कल्पना करना, योजना बनान या सपने देखना बुरा नहीं है पर वर्तमान से कटकर भविष्य में जीना भी उतना ही घाटक है, जितना अतीत में।