Monday, April 21, 2025

अनमोल वचन

आप कितना भी धन कमाये कितने भी सुख के साधन इकट्ठा कर लें, परन्तु आपकी उनको उपभोग करने की एक सीमा है। एक निश्चित सीमा तक ही आप उनका उपभोग कर सकेंगे। आप रोटी के स्थान पर हीरे, जवाहारात तो खायेंगे नहीं, पेट तो भोज्य पदार्थों से ही भरेगा। आप दूध, घी, सब्जी, फल, मेवे, मिठाई ही तो खा पायेंगे और उन्हें भी शरीर की मांग के अनुसार ही खा पायेंगे। बहुत अधिक खायेंगे तो रोगी हो जायेंगे। मकान छोटा हो या बड़ा, रहोगे तो मकान में ही। पहनोगे तो कपड़े ही, चाहे सादे हो अथवा मूल्यवान हो। जितना आप भोग कर सकते हैं उतना ही कर पायेंगे। शेष तो आपके काम आयेगा नहीं और जब आप संसार से जायेंगे उसे साथ लेकर भी नहीं जायेंगे। सब यही रह जायेगा। साथ ले जाने का मार्ग एक ही है कि अपने भोग से अधिक उनकी सेवा में लगाये जिन्हें उसकी आवश्यकता है। दान करिए, पुण्य कार्यों में लगाईये, किसी गरीब की बेटी का विवाह कराये। जिस धन को दीन-दुखियों की सेवा में लगायेंगे, परोपकार में व्यय करेंगे बस वही धन तो आपके साथ जायेगा और अगले जन्मों में सूद सहित तुम्हें प्राप्त होगा। इस सत्य को जान लो कि जो आप इस समय पा रहे हैं वह आपके पूर्व जन्मों के पुण्य कार्यों में लगाये धन का ही कुछ भाग है।

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