Saturday, April 26, 2025

अनमोल वचन

जिस राष्ट्र के प्रबुद्ध नागरिक श्रम और पुरूषार्थ के महत्व को समझते हैं वस्तुत: वही राष्ट्र उन्नति करता है।

धन कमाने के लिए तो श्रम आवश्यक है ही, दान की भावना से भी कुछ श्रमदान करना चाहिए। श्रमदान भी रचनात्मक कार्यों के लिए ही किया जाये, तभी श्रमदान का उद्देश्य पूरा होगा।

एक निश्चित कार्यक्रम बनाकर हर गांव में हर मौहल्लों में, हर धर्मशाला तथा मंदिर के साथ एक धर्यादा परिश्रमालय चलाया जाये। इस परिश्रमालय में हर आदमी नियमित रूप से अथवा प्रतिदिन समय न मिले तो अनियमित रूप से भी कुछ न कुछ समाजोपयोगी अथवा अर्थोत्पादक परिश्रम कुछ समय के लिए नित्य किया करें। इसके लिए कुछ आवश्यक और प्रबन्ध समाज की ओर से किया जाये। यह वहां की स्थानीय परिस्थितियों के अनुसार निश्चित किये जाये। इन सबका संगठन और संचालन बड़ी योग्यता से किया जाये। रचनात्मक कार्य भी होंगे और वहां के नागरिकों में यह भाव संतोष पैदा करेगा कि हमने भी कुछ समाजोपयोगी और राष्ट्र की उन्नति के लिए भी अपना कुछ योगदान किया है।

[irp cats=”24”]

किसी भी उन्नतोमुख राष्ट्र के लिए आवश्यक है कि उसका प्रत्येक नागरिक राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता दे तथा किसी न किसी रूप में उसकी प्रगति हेतु अपना योगदान अवश्य दें।

- Advertisement -

Royal Bulletin के साथ जुड़ने के लिए अभी Like, Follow और Subscribe करें |

 

Related Articles

STAY CONNECTED

80,337FansLike
5,552FollowersFollow
151,200SubscribersSubscribe

ताज़ा समाचार

सर्वाधिक लोकप्रिय