Sunday, February 23, 2025

अनमोल वचन

दुर्भाग्य यह है कि आदमी का मन हमेशा ही इधर-उधर, अगर-मगर, किन्तु-परन्तु लगाये रहता है, क्योंकि वह चलायमान है। कभी सोचता है कि पता नहीं काम बनेगा कि नहीं, इस काम को इस तरीके से करूं या उस तरीके से करूं इनसे परामर्श करूं या उनसे मार्ग दर्शन लूं।

फिर मन कहता है शायद इनसे भी अच्छा सलाहकार मिल जाये। बाद में होता यह है कि ढूंढते-ढूंढते वहीं चक्कर काटते रह जाता है और सोचा हुआ कार्य सोच में ही रह जाता है वह क्रिया में नहीं आ पाता। यह बात जान लो कि कर्म के भीतर भविष्य का बीज समाया होता है। यह संसार कर्म की खेती है। इसमें जैसा बोते हैं वैसा ही फल प्राप्त होता है यदि बबूल का बीज बोया है तो आम खाने की कामना कहां से पूरी होगी।

जो कर्म मनुष्य करता है उसके बीज रूपी संस्कार चित्त पर अंकित हो जाते हैं। जीवात्मा यह शरीर छोडऩे के पश्चात उन संस्कारों को साथ ले जाता है और उन्हीं के आधार पर पुनर्जन्म होता है। आत्मा कर्म फल सिर पर लादकर अनेक जन्मों के चक्र में घूमता रहता है। मानव योनि के किये हुए कर्मों को भोगने के लिए भिन्न-भिन्न योनियों में जाना पड़ेगा। पुण्य कर्म करने से मानव योनि और पाप कर्म करने से अधम योनियां प्राप्त होगी।

- Advertisement -

Royal Bulletin के साथ जुड़ने के लिए अभी Like, Follow और Subscribe करें |

 

Related Articles

STAY CONNECTED

74,854FansLike
5,486FollowersFollow
143,143SubscribersSubscribe

ताज़ा समाचार

सर्वाधिक लोकप्रिय