मानव की भागती-दौड़ती जिंदगी का एक प्रमुख हिस्सा बन गया है तनाव। यों तो मानसिक तनाव के अनेक कारण हैं परन्तु आंकड़ों से विदित होता है कि पुरूषों की अपेक्षा महिलाएं तनाव से अधिक ग्रसित होती हैं।
महिलाएं स्वभाव से ही संवेदनशील होती हैं अत: छोटी-छोटी बातों से भी वे प्रभावित हो जाती हैं। घरेलू महिलाओं की तुलना में नौकरीपेशा महिलाओं में तनाव की तीव्रता अधिक रहती है। इसका कारण यह है कि उन पर घर-बाहर दोनों का उत्तरदायित्व रहता है।
वे अपने मन पर हमेशा एक न एक बोझ लिए रहती हैं। नौकरी पर जाने से पहले घर पर पति व बच्चों तथा घर की सारी जिम्मेदारी पूरी करनी होती है, परिवार के सब सदस्यों का पूरा ख्याल रखना पड़ता है।
ऑफिस में समय पर पहुंचने की जल्दी, अपने कार्य को पुरूषों के समान ही कुशलता से कर पाने की चुनौती, वक्त पर घर आना, घर गृहस्थी में कहीं दरार न आने देना, कुशल गृहिणी का कर्तव्य पालन करते हुए अतिरिक्त आय घर में लाना, रिश्तेदारों मेहमानों की जिम्मेदारी निभाना आदि सभी दायित्वों को निभाना पड़ता है, हालांकि उन्हें भी कामकाज का तनाव, बच्चों के होमवर्क का तनाव, मेहमानों, रिश्तेदारों, पड़ोसियों का तनाव भी कम नहीं रहता।
दूसरों की सुख समृद्धि को देखकर कुढऩा, दूसरों के दोषों को देखना, ईर्ष्या आदि भी मानसिक तनाव के कारण हैं। सदैव मानसिक तनाव में रहने वाली महिलाएं अनिद्रा, सिरदर्द, दिल की धड़कन, मधुमेह जैसे रोगों में फंसकर अपने स्वास्थ्य को बर्बाद करती हैं।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि आठ घंटे शारीरिक श्रम से उतनी शक्ति नष्ट नहीं होती जितनी आधा घंटा तनाव या उद्वेग से होती है अत: स्वस्थ और निरोग रहने के लिए मन को तनावमुक्त रख हंसने हंसाने की आदत डालनी चाहिए। चित्त को संतुष्ट व प्रसन्न रखें। रोजमर्रा के जीवन में परेशानियां हर किसी को आती हैं, लेकिन उनसे विचलित नहीं होना चाहिए।
– मीना जैन छाबड़ा