भारत की लोक संस्कृति में प्राय: तीज-त्यौहार के अवसर पर आम लोग अपने घरों को सजाने-संवारने का कार्य करते हैं। विशेष रूप से दीपावली जैसे पुनीत पर्व पर तो गरीब से गरीब व्यक्ति भी अपनी झोपड़ी में लक्ष्मी के स्वागत के लिये तैयार रहता है। दीपावली पर घर को साफ-सुथरा रखने के पीछे भारतीय जनमानस का सोच व संस्कारों से बंधे रहने के कारण उनमें एक विश्वास की भावना है कि इस पर्व पर सुख-समृद्धि घर आती है व लक्ष्मीजी का वास होता है। वैसे देखा जाए तो दीपावली के एक माह पूर्व ही लोग घरों की साफ-सफाई में जुट जाते हैं। विशेष रूप से घर की गृहणियां इसमें ज्यादा रूचि दिखाती हैं। ऐसे मौके पर लोग घर में कुछ रिपेयरिंग का काम भी लगे हाथ निपटा लेते हैं। दीपावली से पूर्व कई कार्य ऐसे सामने होते हैं जिसमें बड़ी धनराशि खर्च होने की भी आशंका होती है लेकिन महंगाई के युग में घर-खर्च को भी देखना पड़ता है। इसके लिए जरूरी है कि घर-परिवार के सदस्य पहले अपना बजट व हैसियत देख लें, ऐसा न हो कि दीपावली के इस पावन पर्व पर खुशियों की बजाय आपके घर का दीवाला ही पिट जाये।
घर के कामकाज का जहां तक सवाल है त्यौहार आने से पूर्व ही कार्यों एवं वस्तुओं की भी सूची तैयार कर लें कि उन्हें क्या खरीदना है, क्या बनाना है व क्या सजावट करनी है। इन सब पर कितनी धनराशि खर्च होगी? इसका लेखा जोखा भी तैयार करना आवश्यक है। हां, जिस चीज की खास जरूरत हो सर्वप्रथम उसे ही प्राथमिकता दें। घर का बजट बिगाड़े बिना ही यदि त्यौहार खुशियों से मन जाये, यही आज के दौर में सबसे बड़ी अक्लमंदी है।
त्यौहार से पूर्व ही बच्चों को मनपसंद कपड़े खरीदवा दें। धनतेरस से पहले ही बर्तन खरीद लें। हो सके तो घर के पुराने कपड़े देकर कुछ नये बर्तन लें ले। इससे जहां पुराने कपड़ों का फालतू ढेर निकल जायेगा, वहीं, नये बर्तन भी आ जायेंगे। दोपहर के खाली वक्त के समय गृहणियां समय का सदुपयोग करते हुए दीवाली के लिए कंदीले, कलात्मक वंदनवार, गुलदस्ते और फर्रियां भी बना सकती हैं। इससे घर की सजावट तो होगी ही, साथ ही यह आपकी रचनात्मक क्षमता की भी परिचायक होंगी। घर में दीपावली के अवसर पर मिलने आये लोगों पर आपकी अनूठी छाप पड़ेगी।
बच्चों को आतिशबाजी का सामान कुछ दिन पूर्व ही दिलवा दें। इससे आप मुंह मांगे दामों को देने से बच जायेंगे व त्यौहार के समय हड़बड़ी भी नहीं रहेगी। घर के काम-काज को सबेरे उठकर ही निपटाना चाहिए। त्यौहार के एक दो दिन पूर्व दो-तीन तरह के मिष्ठान व पकवान बना लेने चाहिए, जो खराब न होने वाले हों। त्यौहार पर थकान न हो, इसके लिए कामों में पति व बच्चों को भी शामिल कर लें व उन्हें समझा दें कि उन्हें कौन सा कार्य करना है। जहां तक हो सके बाहर व बाजार का कार्य पति को सूची बनाकर सौंप दें। घर की रद्दी छांटने का काम बच्चों को बता दें। वे मजे से इस कार्य को कर लेंगे। घर में पुताई व रंगरोगन काफी पहले करवा लेना चाहिए। ताकि त्यौहार के वक्त घर बिखरा सा नजर न आये। हां, एक बात यह भी कि, गृहणियां दूसरों की देखादेखी हरगिज न करें कि फलां के घर दीपावली पर अमुक चीज खरीदी गई है इसलिए वह भी वह चीज खरीदें। जितनी व जो आवश्यकता हो, उसे अपनी पॉकिट के अनुसार ही खरीदें। जहां तक हो सके, किसी से उधार लेकर अपने घर की शान-शौकत न बढ़ायें। यह दिखावा कभी-कभी महंगा भी साबित हो जाता है।
घर की महिलाएं अड़ोस-पड़ोस में अपने अच्छे व्यवहार व आत्मीयता से एक दूसरे के काम के बोझ को हल्का करने में भी मदद करें तो इससे उनकी व्यवहार कुशलता की तारीफ भी होगी। इससे उनके बच्चों में भी शालीनता व अपनेपन के बीज अंकुरित होंगे।
दीपावली पर धार्मिक कृत्यों को पूरा करने के साथ-साथ मिलने-जुलने की परम्परा को बनाये रखना चाहिए। त्यौहार के दिन जगमगाते घर में महिलाएं स्वयं को सजाने-संवारने में पीछे न रहें, विशेषकर उन घरों में जहां नयी-नवेली आयी हुई पुत्रवधू की पहली दीपावली हो। दीपावली खुशियों को बांटने का पर्व है, इसलिए जहां तक हो सके इसके प्रति समर्पित भावना से जुड़े रहना आवश्यक है। कामकाजी व नौकरी पेशा महिलाएं ऐसे अवसरों को बोझ न समझें, जितना बन सके, अपने घर की साज संभाल कर लेनी चाहिए, फिर देखिये खुशियों का यह त्यौहार आपके लिए कितना सुखद होगा।
(चेतन चौहान – विनायक फीचर्स)