नयी दिल्ली – राष्ट्रीय राजधानी में सरकार और नौकरशाहों के बीच चल रही खींचतान के बीच शुक्रवार को उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने विज्ञान भवन में नौकरशाहों से खचाखच भरे ऑडिटोरियम में कहा, “आप को किसी से डरने की जरूरत नहीं है। आप लोग मेहनत और ईमानदारी से काम कीजिए आप काे कोई छू भी नहीं पाएगा।”
दिल्ली सरकार में काम कर रहे नौकरशाहों के लिए सिविल सेवकों की कार्य क्षमता निर्माण विषय पर राजधानी के विज्ञान भवन में आज कार्यशाला हुई।
दिल्ली सरकार सेवा विभाग ने आज ‘मिशन कर्मयोगी – सिविल सेवा क्षमता निर्माण के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम’ के तहत सिविल सेवकों की प्रभावी सार्वजनिक सेवाओं के क्षमता निर्माण के लिए एक कार्यशाला का विज्ञान भवन में आयोजन किया । जिसे केंद्र सरकार द्वारा एक राष्ट्रीय कार्यक्रम के रूप में सिविल सेवाओं को बढ़ाने के लिए परिकल्पित किया गया है।
‘मिशन कर्मयोगी’ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में एक शीर्ष निकाय द्वारा संचालित है। यह कार्यक्रम प्रधानमंत्री द्वारा परिकल्पित ‘अधिकतम शासन, न्यूनतम सरकार’ की परिकल्पना करता है, जहां मूल सिद्धांत न्यूनतम नौकरशाही हस्तक्षेप के साथ एक पारदर्शी, भागीदारी पूर्ण और नागरिक अनुकूल शासन है।
उपराज्यपाल ने उनकी निगरानी में दिल्ली में हुए कार्यों का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘हमने आपके सहयोग से एक साल में इतना काम किया है, जो शायद 10 साल में भी नहीं हो सकता था।’’ उन्होंने कहा कि पिछले एक साल में दिल्ली में 17 हजार लोगों को पक्की नौकरी दी गई। उन्होंने कहा कि अत्यधिक दूषित यमुना में एक प्रत्यक्ष बदलाव आया है और उम्मीद है कि नदी का पुराना गौरव बहाल हो जाएगा।
श्री सक्सेना ने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने 28 साल और उसके बाद राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने आठ साल तक नदी की सफाई की निगरानी की, लेकिन नतीजा ‘‘सिफर’’ निकला। उन्होंने कहा कि एनजीटी के आठ जनवरी के आदेश के बाद उन्हीं अधिकारियों के कार्यों में उल्लेखनीय अंतर आया है जो पहले भी परियोजना में शामिल थे। इस आदेश के तहत यमुना की सफाई के लिए उपराज्यपाल की अध्यक्षता में एक उच्च-स्तरीय समिति का गठन किया गया था।
उपराज्यपाल ने अपना अनुभव साझा करते हुए कहा कि इन कार्यों को केवल इन सिविल सेवकों द्वारा निष्पादित किया गया है और मुझे विश्वास है कि सकारात्मक सोच के साथ, सिविल सेवक दिल्ली के नागरिकों के लिए अपनी सर्वश्रेष्ठ सेवाएं प्रदान कर सकते हैं।
श्री सक्सेना ने आग्रह किया कि अधिकारी स्वतंत्र, निष्पक्ष और न्यायपूर्ण तरीके से नियमों के अनुसार समाज के सेवक के रूप में काम करें न कि एक प्राधिकारी के रूप में और हमेशा नागरिक केंद्रित रवैया रखें।
उपराज्यपाल ने कार्यशाला में मौजूद मुख्य सचिव नरेश कुमार की सराहना करते हुए उन्हें ऐसा ‘‘कर्मयोगी’’ बताया जो चौबीसों घंटे काम करने के लिए तैयार रहते हैं।