लखनऊ। उत्तर प्रदेश में पराली जलाने की घटनाओं में कमी लाने के लिए सरकार निरंतर जागरूक कर रही है। फिर भी न मानने वालों पर सख्ती कर जुर्माना आदि की कार्रवाई की जा रही है। इससे चलते साल दर साल पराली जलाने की घटनाओं में कमी आ रही है।
एनसीआर के कई जनपदों में भी लोग जागरूक हुए हैं। पराली जलाने की घटनाओं से जुड़े आंकड़ों पर नजर डालें तो 2022 में इससे जुड़े 3017 मामले सामने आए थे। सरकार द्वारा चलाए जा रहे जागरूकता अभियान व सख्ती से 2023 के 10 महीने में महज 906 मामले ही सामने आए। आंकड़ों के अनुसार पराली जलाने के 2017 में 8784, 2018 में 6623, 2019 में 4230, 2020 में 4659, 2021 में 4242 मामले प्रकाश में आए थे।
योगी सरकार के सख्त रवैये से निरंतर पराली जलाने के मामलों में कमी दर्ज की जा रही है। पराली के कारण फसल जलने की घटनाओं में भी काफी कमी आई है। 30 अक्टूबर तक के सरकार से मिले आंकड़ों के अनुसार 2020 में 1132 स्थानों पर ऐसी घटनाएं हुई थीं। 2021 में यह घटकर 890 हुई तो 30 अक्टूबर 2023 में 748 मामले ही प्रकाश में आए।
पीलीभीत में 30 अक्टूबर 2022 तक जहां 98 प्रकरण आए थे, वहीं 84 प्रकरण 2023 में अब तक आए हैं। इस क्रम में शाहजहांपुर के लोगों ने काफी प्रयास किया। वहां 2022 में 223 मामले प्रकाश में थे, जो इस वर्ष तक अभी 48 ही सामने आए हैं। सरकार के प्रवक्ता ने बताया कि शामली में 30 अक्टूबर 2022 तक छह स्थानों पर ऐसी घटनाएं सुनाई दी थी तो 2023 में 5, मेरठ में 4 के मुकाबले 3, बुलंदशहर में 7 के मुकाबले 6 और बागपत में दो के सापेक्ष एक घटना प्रकाश में आई।
वहीं हापुड़ में पिछले वर्ष दो मामले प्रकाश में आए थे। इस वर्ष जागरूकता के कारण अब तक एक भी घटना नहीं हुई। फसलों के अवशेष जलाने से रोकने के लिए योगी सरकार आईईसी कार्यक्रमों के माध्यम से प्रचार प्रसार कर रही है। जनपदों में गन्ना, बेसिक शिक्षा, राजस्व, ग्राम्य विकास, पंचायती राज, स्थानीय निकाय, पुलिस, परिवहन, कृषि इत्यादि विभाग के अधिकारियों के समन्वय से प्रभावी कार्रवाई की जा रही है।
लेखपालों को जिम्मेदारी सौंपी गई है कि अपने क्षेत्र में फसल अवशेष जलने की घटनाएं न होने दें। न मानने वालों पर अर्थदंड आदि की कार्रवाई भी की जा रही है। 2 एकड़ से कम क्षेत्र के लिए 2500, 02 से 05 एकड़ क्षेत्र के लिए 5000 व 05 एकड़ से अधिक क्षेत्र के लिए 15000 प्रति एकड़ अर्थदंड निर्धारित किया गया है।