मथुरा। ब्रज की होली पूरे देश में अपनी भव्यता और पारंपरिक रंगों के लिए प्रसिद्ध है। यह उत्सव न केवल भारत, बल्कि विदेशों में बसे श्रद्धालुओं को भी आकर्षित करता है। द्वापर युग में भगवान कृष्ण और राधा रानी के साथ होली खेलने की परंपरा आज भी ब्रजभूमि में जीवंत रूप में देखी जाती है। इसी परंपरा का निर्वहन करते हुए बरसाना में होली का शुभारंभ हो गया है।
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राधा रानी की जन्मस्थली बरसाना में होली का उत्सव महाशिवरात्रि से ही शुरू हो जाता है। यहां की होली की विशेष पहचान ‘चौपाई’ से होती है। हर साल होली से पहले रंगीली गलियों में पारंपरिक वाद्य यंत्रों, ढोल-नगाड़ों और मंजीरों की धुन के साथ प्रथम चौपाई निकाली जाती है।
इस बार भी बरसाना की गलियां भक्तों से सराबोर हो उठीं। 7 मार्च को दूसरी चौपाई निकाली जाएगी, जिसके बाद लड्डू मार होली लट्ठमार होली का आयोजन किया जाएगा।
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प्रथम चौपाई श्री लाडली जी राधा रानी मंदिर से निकाली गई, जिसमें अबीर-गुलाल की वर्षा से समूचा वातावरण भक्तिमय हो गया। गोस्वामी समाज के नेतृत्व में हुई इस पारंपरिक यात्रा में श्रद्धालुओं ने जमकर आनंद लिया और ‘राधे-राधे’ व ‘जय श्रीकृष्ण’ के जयकारों से पूरे बरसाना को गुंजायमान कर दिया।
होली का यह उत्सव राधा रानी मंदिर में भक्ति और उल्लास का अनूठा संगम प्रस्तुत करता है। मंदिर परिसर में भक्तों ने इसे सौभाग्य का प्रतीक मानते हुए अपने जीवन की सबसे यादगार होली बताया।
ब्रज की यह होली केवल रंगों का नहीं, बल्कि प्रेम, भक्ति और आनंद का पर्व है, जिसमें शामिल होकर हर कोई खुद को धन्य मानता है। आगामी दिनों में बरसाना, नंदगांव और वृंदावन में होली के अनोखे रंग देखने को मिलेंगे, जिससे पूरा ब्रजमंडल राधा-कृष्ण के प्रेममय रंगों में डूब जाएगा।