बागपत। जिले के छपरौली कस्बे के रहने वाले जितेंद्र ने दिल्ली में नए संसद भवन के बाहर आत्मदाह कर लिया था। गुरुवार रात को इलाज के दौरान जितेंद्र की मौत हो गई। इसके चलते उसके गांव छपरौली कस्बे के पट्टी ढांढन और आसपास के इलाकों में भारी तनाव फैल गया है। न्यायिक और प्रशासनिक उदासीनता से हताश होकर उठाए गए इस कदम से पूरा इलाका गम और गुस्से में डूब गया है। जितेंद्र की मौत से न सिर्फ उसका परिवार गहरे शोक में डूब गया है बल्कि प्रशासन और न्याय व्यवस्था की कार्यप्रणाली पर भी गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। जिले में कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए पुलिस सतर्क है।
घटना की सूचना मिलते ही जितेंद्र के पिता महीपाल और परिवार के अन्य सदस्य उन्हें दिल्ली के अस्पताल ले गए। जितेंद्र की हालत गंभीर थी क्योंकि आग से उनका अधिकांश शरीर जल चुका था। परिवार को उनकी हालत के बारे में पहले ही चेतावनी दी गई थी। गुरुवार देर रात तमाम प्रयासों के बावजूद उन्होंने उपचार के दौरान दम तोड़ दिया।
जितेंद्र जो तीन भाइयों में दूसरे नंबर पर थे कई सालों से अपने साथ हुई घटनाओं को लेकर न्याय की मांग कर रहे थे। उनके बड़े भाई रविंद्र के अनुसार जितेंद्र ने पहले भी अनुसूचित जाति जनजाति आयोग में शिकायत दर्ज कराई थी। उनका आरोप था कि पुलिस ने उन घटनाओं में कार्रवाई नहीं की जो उनके और उनके परिवार के साथ हुई थीं। शिकायतें दर्ज होने के बावजूद कोई समाधान नहीं निकला। इस असंतोष के चलते मंगलवार को जितेंद्र ने नए संसद भवन के सामने खुद पर पेट्रोल छिड़ककर आग लगा ली। यह कदम उन्होंने प्रशासन और न्याय प्रणाली की उदासीनता से हताश होकर उठाया।
जितेंद्र की मौत की खबर से उनके गांव और आसपास के क्षेत्रों में आक्रोश फैल गया। रातों-रात बड़ी संख्या में लोग दिल्ली अस्पताल पहुंचे। वहीं कस्बे में हालात बिगड़ने की आशंका को देखते हुए कई थानों की पुलिस तैनात कर दी गई। पुलिस ने स्थिति पर नजर बनाए रखने और किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए सतर्कता बढ़ा दी है।
जितेंद्र की मौत ने प्रशासन और न्याय प्रणाली की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। उनका परिवार गहरे शोक में है और न्याय की मांग कर रहा है। घटना ने स्थानीय समाज को भी झकझोर कर रख दिया है, जो न्यायिक प्रक्रिया और प्रशासनिक लापरवाही को लेकर खुलकर सवाल उठा रहा है।
जितेंद्र के भाई शीलू ने बताया कि उनका परिवार दलित समुदाय से है और जिन लोगों से उनका विवाद था वे ऊंची जाति के थे। इसी वजह से उनकी शिकायतों पर कोई सुनवाई नहीं हो रही थी। शीलू ने कहा कि उनके पड़ोसी विक्की ने 2020 में अवैध शराब बेचना शुरू किया। विक्की ने यह काम अपने घर से किया, जिससे मोहल्ले का माहौल खराब हो गया। जब उनके परिवार ने इसका विरोध किया तो विक्की ने उनकी बात को नजरअंदाज कर दिया। विक्की को अपने चचेरे भाई कविंदर जो होमगार्ड है का समर्थन मिला। दोनों ने मिलकर दबंगई के साथ शराब बेचने का सिलसिला जारी रखा। इससे परिवार पर लगातार दबाव बना रहा।