Sunday, April 27, 2025

उत्तर प्रदेश की ‘वन ट्रिलियन डॉलर’ इकोनॉमी की रीढ़ बनेगा हेल्थ सेक्टर

लखनऊ। योगी सरकार उत्तर प्रदेश को एक ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने की दिशा में तेजी से काम कर रही है। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए विभिन्न सेक्टरों पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ राज्य को एक ट्रिलियन डॉलर वाली अर्थव्यवस्था बनाने में हेल्थ सेक्टर का बड़ा योगदान मानते हैं। उनके अनुसार, स्वस्थ समाज ही समृद्ध राज्य की नींव रखता है।

 

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इसे ध्यान में रखते हुए हेल्थ सेक्टर को आर्थिक विकास का मजबूत आधार बनाने की दिशा में खाका तैयार किया गया है। मुख्यमंत्री ने हाल ही में एक ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था को लेकर उच्च स्तरीय बैठक की थी। उन्होंने कहा कि रणनीति बनाकर हेल्थ सेक्टर में निवेश को आकर्षित किया जाए तो इससे प्रदेश को करीब 0.40 लाख करोड़ रुपए का आर्थिक फायदा (जीएसवीए) हो सकता है। इसके लिए दो चीजों पर विशेष ध्यान देना होगा। इसमें पहला अस्पतालों और हेल्थ सेंटर की सुविधाओं को बढ़ाना और दूसरा स्वास्थ्य से जुड़ी सरकार की योजनाओं को और मजबूत करना है।

 

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अस्पतालों और हेल्थ सेंटर की सुविधाएं बढ़ाने के लिए तीन महत्वपूर्ण कदम उठाने होंगे – हेल्थ और वेलनेस सेंटर्स का निर्माण, सेकंडरी केयर के लिए अस्पतालों के निर्माण में निजी निवेश को बढ़ावा और डिजिटल टेक्नोलॉजी और टेलीमेडिसिन पर फोकस। इससे प्रदेश को करीब 0.39 लाख करोड़ रुपए का आर्थिक फायदा (जीएसवीए) हो सकता है। बैठक में अधिकारियों ने सीएम योगी को बताया कि प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने और डॉक्टरों तथा विशेषज्ञों को आकर्षित करने के लिए निजी क्षेत्र में नए हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर्स के निर्माण में निवेश को प्राथमिकता दी जा रही है।

 

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इसके तहत पीएम गतिशक्ति पोर्टल और जीआईएस का उपयोग कर 5,000 नए हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर्स की स्थापना के लिए स्थानों की पहचान की जा चुकी है। इन केंद्रों के माध्यम से प्राथमिक चिकित्सा सेवाओं तक ग्रामीण और दूर-दराज के क्षेत्रों की पहुंच सुनिश्चित की जाएगी। वहीं, योगी सरकार ने सेकंडरी केयर अस्पतालों के लिए पीपीपी मॉडल के तहत निजी क्षेत्र के निवेश को प्रोत्साहित करने की नीति को मंजूरी दी है, जिससे जीएसवीए में इजाफा होगा। इसके साथ ही डिजिटल टेक्नोलॉजी और टेलीमेडिसिन को बढ़ावा देने के लिए नीतियों और योजनाओं को सशक्त करने के लिए कदम उठाए गए हैं। ऐसे में स्वास्थ्य सेवा वितरण को तकनीकी रूप से सशक्त बनाने के लिए टेलीमेडिसिन हब मॉडल को अपनाया जा रहा है।

 

 

 

योगी सरकार प्रदेश को एक ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के लिए स्वास्थ्य से जुड़ी सरकार की योजनाओं को और मजबूत करने पर जोर दे रही है। इससे प्रदेश को करीब 0.01 लाख करोड़ रुपए का आर्थिक फायदा (जीएसवीए) हो सकता है। वर्तमान में आयुष्मान भारत योजना का लाभ राज्य की 43 प्रतिशत आबादी ले रही है, जिसे बढ़ाकर 63 प्रतिशत तक ले जाने की योजना है। इसके लिए राशन कार्ड वाले डेटा को हेल्थ स्कीम्स से जोड़ा जा रहा है।

 

 

 

 

वहीं, फार्मा रिसर्च और हेल्थ डाटा को बढ़ावा देने के लिए 11 मेडिकल कॉलेजों को रिसर्च के लिए तैयार किया जा रहा है, जहां दवाओं के ट्रायल होंगे। साथ ही, हेल्थ डाटा का सही इस्तेमाल करने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग जैसी तकनीक अपनाई जा रही है। साथ ही, निजी अस्पतालों की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए योगी सरकार उनके लिए नियम और ग्रेडिंग सिस्टम तैयार कर रही है। एआई आधारित हेल्थ एनालिटिक्स इकोसिस्टम भी सुदृढ़ किया जा रहा है। निजी अस्पतालों में सेवा की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए राज्य स्तर पर नियमावली और ग्रेडिंग सिस्टम तैयार करने के लिए एक सलाहकार बोर्ड का गठन किया गया है।

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