Wednesday, April 2, 2025

नवाचार और रचनात्मकता की रक्षा करना, भविष्य की प्रगति की गारंटी है – सुरेश जैन

मेरठ। चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मेरठ के बौद्धिक संपदा प्रकोष्ठ एवं शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास मेरठ के संयुक्त तत्वावधान में बौद्धिक संपदा जागरूकता कार्यशाला का भव्य आयोजन किया गया। इस कार्यशाला का उद्देश्य छात्रों शिक्षकों और शोधकर्ताओं को बौद्धिक संपदा अधिकार के महत्व से अवगत कराना और उन्हें अपने नवाचारों व शोध कार्यों की सुरक्षा के लिए जागरूक करना था।

 

 

 

कार्यशाला में मुख्य अतिथि के रूप में सुरेश जैन (राष्ट्रीय संयोजक) भारत विकास परिषद नई दिल्ली) उपस्थित रहे। जिन्होंने बौद्धिक संपदा के क्षेत्र में हो रहे वैश्विक बदलावों और भारत में इसके बढ़ते महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि बौद्धिक संपदा अधिकार किसी भी देश की वैज्ञानिक, तकनीकी और आर्थिक उन्नति का महत्वपूर्ण आधार हैं। यदि हम अपने नवाचारों और रचनात्मक कार्यों को सुरक्षित नहीं करेंगे, तो इसका दुरुपयोग किया जा सकता है। हमें बौद्धिक संपदा के महत्व को समझना, इसके संरक्षण के लिए जागरूक रहना और अपने नवाचारों की कानूनी सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए। नवाचार और रचनात्मकता की रक्षा करना, भविष्य की प्रगति की गारंटी है।

 

 

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भविष्य में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), मशीन लर्निंग, ब्लॉकचेन और जैव प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में नवाचार तेजी से बढ़ेगा। इससे बौद्धिक संपदा की सुरक्षा और अधिक महत्वपूर्ण हो जाएगी। सरकारों और संस्थानों को IPR जागरूकता बढ़ाने, पेटेंट प्रक्रिया को सरल बनाने और साइबर सुरक्षा को मजबूत करने की दिशा में कार्य करना होगा।

 

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विशिष्ट अतिथि जगराम भाई साहब (संयोजक उत्तर एवं पश्चिम उत्तर क्षेत्र ) शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास ने छात्रों को बौद्धिक संपदा और चरित्र निर्माण के बीच संबंध को समझाते हुए सत्यनिष्ठा दृढ़ संकल्प स्व-अनुशासन नवाचार समाज के प्रति उत्तरदायित्व और नैतिकता के छह नियमों को अपनाने की प्रेरणा दी। जगराम जी ने कहा कि बौद्धिक संपदा और चरित्र निर्माण एक-दूसरे के पूरक हैं। बिना नैतिकता और ईमानदारी के कोई भी नवाचार अधिक समय तक उपयोगी नहीं रह सकता।

 

 

 

 

यदि हम सत्यनिष्ठा, दृढ़ संकल्प, स्व-अनुशासन, नवाचार, समाज के प्रति उत्तरदायित्व और नैतिकता के इन छह नियमों का पालन करें, तो न केवल हमारा व्यक्तिगत विकास होगा, बल्कि समाज और देश भी प्रगति की ओर बढ़ेगा। अतः हमें अपनी बौद्धिक संपदा की रक्षा करते हुए नैतिकता और समाज कल्याण को प्राथमिकता देनी चाहिए। यही एक सशक्त और उन्नत राष्ट्र की पहचान है। बौद्धिक संपदा (Intellectual Property) और चरित्र निर्माण (Character Building) के बीच गहरा संबंध है।

 

 

 

 

नवाचार, शोध और रचनात्मकता तभी सही दिशा में विकसित हो सकते हैं जब वे सत्यनिष्ठा, दृढ़ संकल्प, स्व-अनुशासन, नवाचार, समाज के प्रति उत्तरदायित्व और नैतिकता जैसे मूल्यों से प्रेरित हों। बौद्धिक संपदा न केवल व्यक्ति की मौलिकता और सृजनशीलता की सुरक्षा करती है, बल्कि समाज में नैतिकता और ईमानदारी की भावना को भी मजबूत करती है। इस अवसर पर प्रो. वीरपाल सिंह निदेशक (शोध एवं विकास) ने विश्वविद्यालय को प्राप्त राष्ट्रीय एवं अर्न्तराष्ट्रीय उपलब्धियों आदि के बारे में विस्तार से वर्णन/चर्चा की। प्रोफेसर पीके शर्मा जी, आचार्य, अनुवांशिकी एवं पादप प्रजनन विभाग ने कृषि के क्षेत्र में आईपीआर की महत्तवता को विस्तार से बताया। प्रो. शैलेंद्र शर्मा वीरेंद्र कुमार तिवारी एवं अन्य गणमान्य अतिथियों ने भी अपने विचार व्यक्त किए। कार्यशाला का सफल संचालन प्रो. शैलेंद्र सिंह गौरव द्वारा किया गया जिन्होंने इस आयोजन की उपयोगिता पर बल देते हुए कहा कि बौद्धिक संपदा अधिकारों की जानकारी आज के वैज्ञानिक और तकनीकी युग में प्रत्येक शोधकर्ता और विद्यार्थी के लिए अत्यंत आवश्यक है।

 

 

 

 

कार्यशाला में कई प्रतिष्ठित वक्ताओं ने अपने विषयों पर गहन विचार-विमर्श किया। डॉ. दिनेश कुमार (प्रधान वैज्ञानिक कृषि जैव-सूचनाविज्ञान विभाग ICAR-IASRI, नई दिल्ली) ने “कृत्रिम बुद्धिमत्ता के युग में पेटेंट योग्यता: वैश्विक स्थिति और चुनौतियाँ” विषय पर व्याख्यान दिया जिसमें उन्होंने आधुनिक तकनीकों के पेटेंटिंग में आने वाली कठिनाइयों और अवसरों पर चर्चा की। डॉ. सुमन श्रेय सिंह (पूर्व संयुक्त नियंत्रक पेटेंट एवं डिजाइन कार्यालय भारत सरकार) ने “बौद्धिक संपदा अधिकार: पेटेंट आवेदन नवीनीकरण और चुनौतियाँ” विषय पर प्रकाश डालते हुए छात्रों को पेटेंट फाइलिंग की प्रक्रिया और उससे जुड़े तकनीकी पहलुओं की जानकारी दी।

 

 

 

 

डॉ. विष्णु शंकर (सहायक प्रोफेसर कंप्यूटर विज्ञान विभाग दयाल सिंह कॉलेज दिल्ली विश्वविद्यालय) ने “कृत्रिम बुद्धिमत्ता और उसके उपकरण” विषय पर चर्चा की। जिसमें उन्होंने AI के बढ़ते उपयोग और उसके औद्योगिक महत्व को रेखांकित किया। डॉ. वंदना रानी वर्मा प्रोफेसर कंप्यूटर विज्ञान विभाग गलगोटिया कॉलेज ऑफ़ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी ग्रेटर नोएडा) ने “मशीन लर्निंग के बौद्धिक संपदा पहलू” पर अपना व्याख्यान प्रस्तुत किया जिसमें उन्होंने बताया कि मशीन लर्निंग और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के माध्यम से नवाचारों की सुरक्षा कैसे सुनिश्चित की जा सकती है।

 

 

 

 

 

डॉ. तनु प्रिया (पेटेंट अटॉर्नी, IP VASE, गुड़गांव) ने “विचार से सुरक्षा तक: भारत में पेटेंट ड्राफ्टिंग और फाइलिंग की प्रक्रिया” विषय पर गहराई से जानकारी दी . जिससे प्रतिभागियों को बौद्धिक संपदा संरक्षण के व्यावहारिक पहलुओं को समझने में सहायता मिली।कार्यक्रम के आयोजक प्रोफेसर शैलेंद्र सिंह गौरव ने कहा कि बौद्धिक संपदा अधिकारों की समझ आज के शोधकर्ताओं और नवाचारकर्ताओं के लिए अत्यंत आवश्यक है।

 

 

 

 

उन्होंने जोर देते हुए कहा कि छात्र और वैज्ञानिक अपने शोध कार्यों को सुरक्षित करने के लिए पेटेंट और अन्य बौद्धिक संपदा सुरक्षा उपायों को अपनाएँ। उन्होंने इस कार्यशाला को ज्ञानवर्धक बताते हुए कहा कि यह नवाचार को बढ़ावा देने में सहायक होगी। साथ ही, उन्होंने भविष्य में भी इस तरह के जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करने की आवश्यकता पर बल दिया। इस अवसर पर डॉ. लक्ष्मण नागर, डॉ. अजय कुमार, प्रोफेसर राहुल सिंह , डा0 नितिन गर्ग, डा0 आशु त्यागी, डा0 ज्ञानिका शुक्ला, डा0 अमरदीप सिंह, कुशाग्र सिंह, अनिल कुमार, नेहा चौधरी, विजय धामा, सागर सिंह, युवराज सिंह आदि ने पूर्ण सहयोग प्रदान कर कार्यक्रम को सफल बनाया।

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