नई दिल्ली। दिल्ली की कड़कड़डूमा अदालत ने राष्ट्रीय राजधानी के उत्तर-पूर्वी इलाके में 2020 में हुए दंगों से जुड़े एक मामले में लापरवाह और गैर-पेशेवर रवैया अपनाने के लिए जांच अधिकारी (सब-इंस्पेक्टर) को फटकार लगाई है। अदालत ने जांच के आगे के मूल्यांकन के लिए मामले को पुलिस आयुक्त संजय अरोड़ा को भेज दिया है।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश पुलस्त्य प्रमाचला ने खजूरी खास थाने में दंगा, चोरी, डकैती, आगजनी समेत विभिन्न अपराधों में दर्ज मामले की सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया।
मामले में 10 अलग-अलग शिकायतें शामिल हैं। अदालत ने 1 मई को पुलिस उपायुक्त (उत्तर-पूर्व) से प्रत्येक घटना के विशिष्ट समय और किसी भी प्रासंगिक सबूत के बारे में स्पष्टीकरण का अनुरोध किया था।
अदालत ने अपने आदेश में कहा, चूंकि एसआई विपिन अभी डीसीपी (एन/ई) के नियंत्रण में काम नहीं कर रहे हैं और चूंकि अदालत उनका लापरवाह और गैर-पेशेवराना रवैया देख रही है, मैं इस मामले को पुलिस आयुक्त को संदर्भित करना उपयुक्त समझता हूं ताकि इस मामले में एसआई विपिन कुमार द्वारा की गई जांच के साथ-साथ अपने उच्च अधिकारी को तथ्यों को गलत तरीके से पेश करने के उपरोक्त आचरण का मूल्यांकन करें।
आदेश में आगे कहा गया है, अब तक की गई अधूरी जांच के कारण यह अदालत आरोपों के संबंध में कुछ भी तय करने में असमर्थ है। किसी भी घटना का समय जांच का सबसे अहम हिस्सा होता है और अगला काम घटना के समय के आधार पर संबंधित सबूत जुटाना होता है। चूंकि एसआई विपिन द्वारा घटना के समय की जांच नहीं की गई थी, इसलिए इस घटना के संबंध में सबूतों को देखने और चार्जशीट किए गए अभियुक्तों की मिलीभगत का पता लगाने का कोई प्रयोजन नहीं हो सकता है।
अदालत ने निर्देश दिया, इसलिए, एसएचओ और वर्तमान जांच अधिकारी को यह सुनिश्चित करने के लिए तेजी से कदम उठाने का निर्देश दिया जाता है कि आगे की जांच जल्द से जल्द पूरी की जाए। अपनी आगे की जांच के दौरान उन्हें इस अदालत द्वारा पहले ही उठाए गए सवालों का ध्यान रखना चाहिए।
कार्यवाही के दौरान, न्यायाधीश ने कहा कि एसआई कुमार द्वारा अपने वरिष्ठ अधिकारी को सौंपी गई रिपोर्ट में यह उल्लेख किया गया था कि शिकायतकर्ताओं में से एक समीजा ने दावा किया था कि भीड़ ने 25 फरवरी 2020 को सुबह लगभग 11 बजे घरों में आग लगा दी थी।
हालांकि, आरोपपत्र और गवाह के बयानों में कई घटनाओं के समय का उल्लेख नहीं किया गया है, इसके बावजूद मामले में 10 शिकायतें जुड़ी हुई हैं।
न्यायाधीश ने जांच के लिए इस लापरवाह रवैये की आलोचना की और सुझाव दिया कि विभिन्न शिकायतकर्ताओं की शिकायतों को नजरअंदाज किया जा रहा है।
न्यायाधीश ने एसआई कुमार पर डीसीपी को गलत तथ्य बताने का भी आरोप लगाया और मामले को पुलिस आयुक्त को भेज दिया।
न्यायाधीश ने इस बात पर जोर दिया कि आरोप तय करने के लिए घटना के समय की जांच करना महत्वपूर्ण और आवश्यक था। अधूरी जांच के परिणामस्वरूप, अदालत मामले को आगे नहीं बढ़ा सकी।
मामले की आगे की सुनवाई 20 जुलाई को होगी।