सूत्रों के अनुसार, यह फैसला संसद में सर्वसम्मति से लिया गया। सरकार का कहना है कि महंगाई और बढ़ती ज़रूरतों को देखते हुए यह कदम आवश्यक था। विपक्ष ने इस फैसले की आलोचना करते हुए कहा कि जब आम जनता महंगाई से जूझ रही है, तब सांसदों के वेतन में इतनी बढ़ोतरी उचित नहीं है।