नोएडा। चीनी नागरिकों को साइबर अपराध करने के लिए खाते उपलब्ध करवाने वाले एक गिरोह के तीन बदमाशों को उत्तर प्रदेश विशेष कार्य बल (एसटीएफ) ने गिरफ्तार किया है। इनके 5 साथी फरार हैं। एसटीएफ ने इनके पास से एक लैपटॉप, 8 मोबाइल फोन, एक पासपोर्ट, 5 आधार कार्ड, चार सिम कार्ड, 5 चेक बुक, 22 डेबिट व क्रेडिट कार्ड, 150 रुपए नकद, 80 नेपाली करेंसी व अन्य दस्तावेज बरामद किया है।
पूछताछ के दौरान आरोपियों ने पुलिस को बताया है कि वे लोग चीनी नागरिकों को साइबर अपराध और धोखाधड़ी करने के लिए भारतीय बैंकों के खाते उपलब्ध करवाते हैं।
मुज़फ्फरनगर में ‘योगी राज’ में भी नहीं मिल रही ‘रामयात्रा’ की मंजूरी, रामभक्तों में छाया रोष !
उत्तर प्रदेश एसटीएफ (नोएडा यूनिट) के एसपी राजकुमार मिश्रा ने बताया कि एसटीएफ में तैनात उप निरीक्षक दीपक कुमार को सूचना मिली कि चीनी नागरिकों को धोखाधड़ी करने के उद्देश्य खाते उपलब्ध करवाने वाले गिरोह के कुछ लोग ग्रेटर नोएडा में आए हैं। उन्होंने बताया कि सूचना को सत्यापित करने के लिए मुखबिर एवं इलेक्ट्रॉनिक सर्विलांस से जानकारी एकत्र की गई। उन्होंने बताया कि 22 जनवरी को उप निरीक्षक दीपक ने थाना सूरजपुर क्षेत्र के घंटा गोल चक्कर के पास से नवरत्न सिंह खुराल पुत्र रघुवीर सिंह निवासी फतेहगंज बड़ोदरा शहर गुजरात, तनवीर पुत्र गुलजार अली निवासी बीबीनगर बुलंदशहर तथा साकिब शेख पुत्र शेख अहमद निवासी जनपद जलगांव महाराष्ट्र को गिरफ्तार किया है।
मुज़फ्फरनगर के भैंसी गांव में जाट- बाल्मीकि समाज का विवाद सुलझा, अब दोनों के शव जलेंगे एक ही घाट पर !
उन्होंने बताया कि इनके अन्य साथी अवधेश, आलिया खान, आकाश, रोशन और अमित परमार फरार हैं। उन्होंने बताया कि पूछताछ के दौरान आरोपियों ने पुलिस को बताया है कि वे लोग साइबर अपराध कर भारतीय नागरिकों से धोखाधड़ी करने वाले चीनी नागरिकों को बैंक खाता उपलब्ध करवाते हैं। उन्होंने बताया कि जांच के दौरान गिरफ्तार आरोपियों ने बताया कि चीनी नागरिक साइबर अपराध करके भारतीय नागरिकों से अवैध रूप से धन की वसूली करते हैं। इस कार्य में धन के आदान-प्रदान के लिए उन्हें भारतीय खातों की आवश्यकता होती है।
अंतर्राष्ट्रीय लेनदेन में फेमा के नियमों से बचने के लिए ये लोग क्रिप्टो करंसी के माध्यम से लेनदेन करते हैं, तथा हवाला के जरिए धन का आदान-प्रदान करते हैं, जिससे भारतीय सुरक्षा एजेंसी की नजरों से बचे रहकर लेनदेन कर पाते हैं। आरोपियों ने पुलिस को बताया कि यह लोग बाईनेन्स एप के माध्यम से क्रिप्टो करेंसी (यूएसडीटी) चीनी नागरिकों से प्राप्त करके पी 2 पी के माध्यम से खाते में भेजकर धन को ट्रांसफर करते हैं। आरोपियों ने पुलिस को बताया है कि ये लोग खाता धारकों से खाते की चेक बुक, पैन कार्ड, एटीएम कार्ड, आधार कार्ड व खाते में रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर के सिम को लेकर अपने मोबाइल में डालते हैं, तथा खाते की समस्त जानकारी चीनी नागरिकों को देते हैं, जिस पर चीनी नागरिक हमें एक एप भेजते हैं, जिसे हम लोग अपने फोन में इंस्टॉल करके उसे सिम को रजिस्टर कर देते हैं।
जिससे ट्रांजैक्शन करने पर आने वाला ओटीपी स्वतः ही चीनी नागरिकों के पास चला जाता है। जिससे वह बिना रोक-टोक के उस खाते में क्रिप्टो करेंसी यूएसडीटी के माध्यम से ट्रांजैक्शन करते हैं। जब तक खाते की लिमिट पूरी नहीं होती तब तक वह ऐसा करते रहते हैं। चीनी नागरिक इन खातों में पैसा इकट्ठा नहीं होने देते। पैसा आने के तुरंत बाद ही पैसा अन्य किसी खाते में ट्रांसफर कर लेते हैं। आरोपियों ने पुलिस को बताया है कि उनके खाते में कितनी ट्रांजैक्शन हुई इसका विवरण चीनी नागरिक उन्हें अलग से भेजते हैं, जिस पर उन्हें कमीशन प्राप्त होता है। आरोपियों ने पूछताछ मे बताया कि उनकी एक चीनी नागरिक से फेसबुक पर जान पहचान हुई। फेसबुक पर ही उसने उनसे खाता उपलब्ध कराने के लिए कहा तथा उन्होंने उसके साथ काम करना शुरू कर दिया। आरोपियों ने चीनी नागरिकों को कई बैंक खाता उपलब्ध करवाना स्वीकार किया है।