मुजफ़्फरनगर। सार्वजनिक श्मशान घाट पर होगा वाल्मीकि समाज के शवों को अंतिम संस्कार, इस पर आज एसडीएम के प्रयास से सहमति बन गई है। भैंसी गांव में वाल्मीकि समाज की श्मशान घाट की भूमि नहीं है, इसको लेकर काफी वर्षो से विवाद बना हुआ था। जाट और बाल्मीकि समाज में इसे लेकर लम्बे समय से तनाव बना हुआ था।
एसडीएम खतौली मोनालिसा जौहरी ने बुधवार को ग्राम प्रधान और वाल्मीकि समाज के लोगों से बातचीत की। वाल्मीकि समाज के शवों को सार्वजनिक श्मशान घाट पर अंतिम संस्कार किए जाने पर दोनों पक्षों को आपस मे बैठाकर वार्ता कर सहमति बनी।
गांव भैंसी में करीब 60 वर्ष से वाल्मीकि समाज के लोगों को शवों का अंतिम संस्कार ईंटों से बने चबूतरे पर खुले में करना पड़ता था। बरसात में जलभराव से खासी परेशानी होती थी, जहां वाल्मीकि समाज शवों का अंतिम संस्कार करते थे, उस भूमि पर गांव के किसान ने दस्तावेजों के आधार पर अपना हक जताया था। भूमि को खाली करवा लिया गया था, तभी से वाल्मीकि समाज शवों के अंतिम संस्कार को लेकर असमंजस में था।
बीते दिनों वाल्मीकि समाज के व्यक्ति की मृत्यु पर शव के अंतिम संस्कार को लेकर काफी हंगामा हुआ था। अधिकारियों के हस्तक्षेप पर मामला शांत हुआ था। वाल्मीकि समाज अलग श्मशान घाट की मांग कर रहे थे।
एसडीएम मोनालिसा जौहरी ने अपनी सूझबूझ से बुधवार को ग्राम प्रधान अमित अहलावत और वाल्मीकि समाज के लोगों को अपने कार्यालय बुलवाया और उनसे बातचीत की गई। सार्वजनिक श्मशान घाट पर वाल्मीकि समाज के शवों का अंतिम संस्कार किए जाने पर सहमति बनी।अब जाट और बाल्मीकि दोनों समाज के शव एक जगह ही जलाये जायेंगे।
दोनों पक्षों ने एसडीएम की कार्यशैली की जमकर प्रशंसा की। इस दौरान तहसीलदार, नायब तहसीलदार, रालोद जिला उपाध्यक्ष हरपाल सिंह, भाकियू तोमर ब्लाक अध्यक्ष विशाल अहलावत, सुधीर वाल्मीकि, राजकुमार, सुरेश, प्रमोद, मेहरचंद, ब्रजपाल, आनंद, सुनील, बब्बू, सहेंद्र आदि लोग मौजूद थे।