लखनऊ। लखनऊ के संजय गांधी पीजीआई में भाजपा के पूर्व सांसद भैरव प्रसाद के बेटे की मौत हो गई। आरोप है कि गुर्दे की बीमारी से जूझ रहे पूर्व सांसद अपने बेटे को अस्पताल लेकर पहुंचे थे, लेकिन उन्हें बेड नहीं मिला, जिसकी वजह से इलाज नहीं मिल सका और मौत हो गई। इस मामले में काफी हंगामा हो गया है जहां मुख्य विपक्षी दल सपा ने सरकार पर सवाल उठाए हैं, वहीं उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने पूरे मामले उच्च स्तरीय जांच के आदेश दिए हैं। जांच में दोषी पाए गए संबंधित चिकित्सक को संस्थान से कार्य मुक्त कर दिया गया है।
दरअसल यूपी के बांदा के पूर्व सांसद भैरो प्रसाद मिश्र अपने बेटे प्रकाश मिश्र को लेकर पीजीआई अस्पताल पहुंचे थे। इमरजेंसी के डॉक्टर ने बेड न होने की दलील देकर मरीज को भर्ती करने से मना कर दिया। इसके कुछ देर बाद मरीज की मौत हो गई।
इसके बाद पूर्व सांसद इलाज में लापरवाही का आरोप लगाते हुए धरने पर बैठ गए। सूचना पर पीजीआई निदेशक प्रो. आरके धीमान और सीएमएस संजय धीराज मौके पर पहुंचे और कार्रवाई का आश्वासन दिया। इसके बाद पूर्व सांसद ने धरना समाप्त किया।
फिलहाल पीजीआई प्रशासन ने मामले की जांच के लिए कमिटी बनाई है। वहीं इस मामले का उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने संज्ञान लिया है। उन्होंने सोशल मीडिया में जानकारी देते हुए कहा कि पीजीआई, लखनऊ में पूर्व सांसद भैरों प्रसाद मिश्र के सुपुत्र के दु:खद निधन के संबंध में सरकार ने उच्च स्तरीय जांच के आदेश दिए हैं। प्रथम दृष्टया जांच में दोषी पाए गए संबंधित चिकित्सक को संस्थान से कार्य मुक्त किया जा रहा है। भविष्य में इस तरह की घटना की पुनरावृत्ति ना हो इस संबंध में निदेशक, पीजीआई को चेतावनी भी दी गई है।
उधर इस मामले को लेकर सपा मुखिया अखिलेश यादव ने भाजपा सरकार पर निशाना साधा और सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स के माध्यम से कहा कि बात किसी विशेष व्यक्ति को इलाज न मिल पाने की वजह से दम तोड़ देने की नहीं है, हर एक सामान्य नागरिक के जीवन के मूल्य की भी है। जब उप्र में सत्ताधारी भाजपा के पूर्व सांसद के पुत्र तक को इलाज नहीं मिल पा रहा है तो आम जनता के बारे में क्या कहना।आशा है दूसरे राज्यों में चुनाव प्रचार से लौटने के बाद उप्र के भाजपाई मंत्रीगण इसका संज्ञान लेंगे क्योंकि अभी तो उनके लिए चुनाव किसी के जीवन से अधिक महत्वपूर्ण है।
भैरों प्रसाद मिश्रा बांदा संसदीय क्षेत्र से वर्ष 2014 में भाजपा के टिकट पर चुनाव जीते थे। उनका बेटा प्रकाश गुर्दे की बीमारी से जूझ रहा था। प्रकाश का इलाज पीजीआई में ही चल रहा था। हालत बिगड़ने पर रात करीब 11 बजे वह बेटे को लेकर पीजीआई की इमरजेंसी में पहुंचे। पर, वहां तैनात डॉक्टरों ने बेड खाली नहीं होने की बात कहकर भर्ती करने से इन्कार कर दिया। इमरजेंसी के अंदर पहुंचकर भी इलाज नहीं मिलने से प्रकाश की सांसें उखड़ने लगीं। बेटे की दशा देख पूर्व सांसद डॉक्टरों के आगे गिड़गिड़ाते रहे। आखिर प्रकाश की स्ट्रेचर पर पड़े-पड़े ही मौत हो गई।
बेटे की मौत से आहत पूर्व सांसद इमरजेंसी में धरने पर बैठ गए। मामले की जानकारी पीजीआई प्रशासन को हुई। देर रात पीजीआई के निदेशक डॉ. आरके धीमन सीएमएस डॉ. संजय धीराज के साथ इमरजेंसी पहुंचे। पूर्व सांसद ने इमरजेंसी मेडिकल ऑफिसर (ईएमओ) पर बेटे को भर्ती नहीं करने का आरोप लगाया। निदेशक ने उन्हें दोषियों पर सख्त कार्रवाई का आश्वासन दिया। इसके बाद मिश्र धरने से उठे और शव लेकर घर चले गए।