लखनऊ। अयोध्या के कुबेर पर्वत को जहां भारतीय पुरातत्व संरक्षण सूची से हटा दिया गया है। तो वहीं श्रीराम जन्म भूमि परिसर में ही दूसरा मंदिर बनाने की तैयारी है। श्रीराम जन्मभूमि के 70 एकड़ क्षेत्र में ही कुबेर टीला स्थित है। जिसका सुदृढ़ीकरण और सौंदर्यीकरण का कार्य तेजी से किया जा रहा है। गिद्ध राज जटायु का यहां पर भव्य मंदिर का निर्माण किया जाएगा।
कुबेर नवरत्न टीले के नाम से जाने जाने वाले इस टीले पर जटायु की मूर्ति की स्थापना होगी। इसके लिए मूर्ति का निर्माण शुरू हो गया है। पहले तय किया गया था कि जटायु की मूर्ति की स्थापना तांबे से होगी, किंतु यह मार्बल से बनाया जा रहा है। मूर्ति निर्माण हो जाने के बाद इस पर तांबे का पत्र चढ़ाया जायेगा। इस टीले पर ही भगवान शिव का मंदिर भी स्थित है। इस मंदिर को कुबेरेश्वर महादेव कहा जाता है।
उल्लेखनीय है कि रामायण के प्रमुख पात्र गिद्ध राज जटायु ने सीताहरण के बाद रावण से युद्ध किया था और वीरगति को प्राप्त हुए थे। उनका अंतिम संस्कार स्वयं भगवान श्रीराम ने किया था। यह स्थान दंडकारण्य में पड़ता है।
किसे कहते है दंडकारण्य
मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र के कुछ क्षेत्रों को मिलाकर दंडकारण्य कहा जाता था। यह स्थान अत्यंत सघन वन हुआ करता था और आज भी यहां पर हरित क्षेत्र सर्वाधिक पाया जाता है। दंडकारण्य में छत्तीसगढ़, ओडिशा और आंध्र प्रदेश राज्यों के अधिकतर हिस्से शामिल हैं। उड़ीसा की महानदी के इस पार से गोदावरी तक दंडकारण्य का क्षेत्र फैला हुआ था। इसी दंडकारण्य का ही हिस्सा है। आंध्र प्रदेश का शहर भद्राचलम। श्रीराम दंडकारण्य क्षेत्र के आकाश में ही सीता-हरण के बाद रावण और जटायु का युद्ध हुआ था। ऐसा माना जाता है कि दुनिया भर में सिर्फ यहीं पर जटायु का एकमात्र मंदिर है।