Friday, November 22, 2024

पहली बार गैर ठाकरे ने संभाली शिवसेना की बागडोर, सीएम शिंदे हैं ‘प्रमुख नेता’

मुंबई। भारत के चुनाव आयोग (ईसीआई) द्वारा शिंदे गुट को मान्यता दिए जाने के पांच दिन बाद मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को ‘मुख्य नेता’ के रूप में नियुक्त किया गया है।

शिंदे ने मंगलवार देर रात मुंबई में अपनी पार्टी की पहली राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक की अध्यक्षता की, इसके तुरंत बाद पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की शिवसेना (यूबीटी) के नेतृत्व वाले गुट ने सुप्रीम कोर्ट में ईसीआई के कदम को चुनौती दी, जिसकी सुनवाई बुधवार (22 फरवरी) को होनी है।

उद्योग मंत्री उदय सामंत ने बाद में मीडियाकर्मियों को बताया कि बैठक में, शिवसेना नेताओं, सांसदों, विधायकों और अन्य ने सर्वसम्मति से शिंदे को पार्टी की ओर से सभी निर्णय लेने का अधिकार दिया।

नए ‘सेना-पति’ शिंदे ने भी राष्ट्रीय कार्यकारिणी को सूचित किया कि वे दादर में प्रतिष्ठित शिवसेना भवन के लिए दावा नहीं करेंगे, जिससे ठाकरे पक्ष को कुछ राहत मिली।

शिवसेना भवन छत्रपति शिवाजी महाराज पार्क के पास है, जहां 1966 में शिवसेना का जन्म हुआ था। भवन का निर्माण 1974 में किया गया और इसका स्वामित्व ठाकरे परिवार के ट्रस्ट के पास है।

हालांकि, पार्टी विनायक दामोदर सावरकर के लिए भारत रत्न की मांग करेगी। पश्चिमी रेलवे पर चर्चगेट स्टेशन का नाम बदलकर प्रसिद्ध अर्थशास्त्री, पूर्व केंद्रीय मंत्री और भारतीय रिजर्व बैंक के पहले भारतीय गवर्नर सर सी.डी. देशमुख के नाम पर रखा जाएगा।

पार्टी ‘राष्ट्रीय हस्तियों’ की सूची में वीरमाता जीजाबाई, छत्रपति संभाजी महाराज, और रानी अहिल्याबाई होल्कर जैसे आइकन को शामिल करने की भी मांग करेगी।

इससे पहले, 2019 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से पहले, ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना ने भी अपने चुनावी घोषणा पत्र में वीर सावरकर के लिए भारत रत्न की मांग की थी।

हालांकि, चुनावों के बाद, पार्टी महा विकास अघाड़ी गठबंधन में शामिल हो गई, जिसमें ठाकरे के साथ मुख्यमंत्री के रूप में कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी शामिल थी, लेकिन जून 2022 में शिंदे के नेतृत्व वाले विद्रोह के बाद एमवीए सरकार गिरा दी गई थी।

चुनाव आयोग ने पिछले हफ्ते शिंदे समूह को मान्यता दी और इसे मूल ‘शिवसेना’ नाम और इसका चुनाव चिन्ह ‘धनुष और तीर’ भी दिया। वहीं ठाकरे पक्ष के अधिकांश नेताओं ने इसे ‘चोरी’ करार दिया।

ईसीआई के कदम के तुरंत बाद, नाराज पूर्व सीएम ने कहा कि वे सब कुछ चुरा सकते हैं, पार्टी का नाम, चुनाव चिन्ह, इसके नेता, सांसद, विधायक, आदि, लेकिन ‘चोर’ जादुई ‘ठाकरे’ नाम कभी नहीं लूट सकते, कानूनी लड़ाई की तैयारी कर रहे है।

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