नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति ने बुधवार को बिहार के पटना और सारण जिलों में गंगा नदी के दोनों तरफ और उसके मार्गों पर 4,556 मीटर लंबे, छह लेन वाले उच्चस्तरीय केबल स्टे ब्रिज के निर्माण को मंजूरी दे दी।
एक आधिकारिक बयान के अनुसार, परियोजना की कुल लागत 3,064.45 करोड़ रुपये है, जिसमें 2,233.81 करोड़ रुपये की सिविल निर्माण लागत भी शामिल है।
यह पुल यातायात को तेज और सुचारु रूप से चलाने में सक्षम बनाएगा, जिसके परिणामस्वरूप राज्य का समग्र विकास होगा।
यह पुल गंगा पर मौजूदा दीघा-सोनपुर रेल-सह-सड़क पुल के पश्चिमी किनारे के समानांतर होगा, जिसका उपयोग केवल हल्के वाहनों की आवाजाही के लिए किया जाएगा।
दीघा और सोनपुर के बीच नए पुल के निर्माण से मौजूदा पुल पर जाम नहीं लगेगा, जिससे माल के परिवहन के लिए भारी वाहनों की आवाजाही में सुविधा होगी।
यह पुल पटना से औरंगाबाद और सोनपुर (एनएच-31), छपरा, उत्तर बिहार के मोतिहारी (पूर्व-पश्चिम गलियारा पुराना एनएच-27) और बेतिया (एनएच-727) में एनएच-139 के जरिए स्वर्णिम चतुर्भुज गलियारे तक सीधी आवाजाही की सुविधा देगा।
यह परियोजना बुद्ध सर्किट का एक हिस्सा है, जो वैशाली और केसरिया में बुद्ध स्तूप को बेहतर कनेक्टिविटी देगी। इसके अलावा, एनएच-139डब्ल्यू प्रसिद्ध अरेराज सोमेश्वर नाथ मंदिर और पूर्वी चंपारण जिले के केसरिया में प्रस्तावित विराट रामायण मंदिर (दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक स्मारक) को कनेक्टिविटी प्रदान करेेेगी।
यह परियोजना पटना में पड़ रही है, जो राज्य की राजधानी से होकर उत्तर र दक्षिण बिहार के हिस्से को बेहतर कनेक्टिविटी प्रदान करेगी। इस पुल से वाहनों की आवाजाही तेज और आसान हो जाएगी, जिसके परिणामस्वरूप क्षेत्र का समग्र विकास होगा।
यह कार्य 5डी-बिल्डिंग जैसी नवीनतम तकनीक के उपयोग के साथ ईपीसी (इंजीनियरिंग खरीद और निर्माण) मोड पर कार्यान्वित किया जाएगा। बयान में कहा गया है कि काम तय तारीख से 42 महीनों में पूरा करने का लक्ष्य है।