मुजफ्फरनगर। जनपद में हाईकोर्ट के आदेश पर एडीजे-7 शक्ति सिंह ने 28 वर्ष पुराने रामपुर तिराहा कांड के मामले में आज सुनवाई की।
जिसमें कोर्ट में पेश न होने पर 22 पुलिसकर्मियों के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किए। साथ ही एक आरोपी की संपत्ति कुर्की करने का आदेश दिया।
बता दें कि गत 1 अक्टूबर 1994 को रात के समय उत्तराखंड के आंदोलनकारियों पर लाठीचार्ज किया गया था। आरोप है कि पुलिस ने उत्तराखंड गठन की मांग कर रहे लोगों पर फायरिंग की। जिसमें 7 लोगों की जान चली गई थी। महिलाओं के साथ ज़्यादती करने का भी पुलिस पर आरोप था।
इस मामले को लेकर उत्तराखंड गठन समिति ने आंदोलन छेड़ दिया था। थाना छपार में घटना से जुड़े अलग-अलग आधा दर्जन से अधिक मामले दर्ज कराए गए थे। जिसके बाद सीबीआई ने मामले की जांच कर कोर्ट में चार्जशीट पेश की थी।
हाल में ही हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने घटना के मुकदमे की सुनवाई फास्ट ट्रैक कोर्ट से अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश कोर्ट संख्या-7 शक्ति सिंह की अदालत में ट्रांसफर करने के आदेश दिए थे। जिसके बाद उन्होंने सुनवाई के लिए 22 फरवरी की तारीख निर्धारित की थी।
सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता परविंदर सिंह ने बताया कि गुरुवार को कोर्ट में मामले की सुनवाई हुई। कोर्ट में सीबीआई के विशेष लोक अभियोजक तथा उत्तराखंड वासियों की ओर से अधिवक्ता केपी शर्मा ने पैरवी की।
ज़िला शासकीय अधिवक्ता राजीव शर्मा ने बताया कि एडीजे शक्ति सिंह ने गलत तथ्य प्रस्तुत करने पर नाराजगी व्यक्त करते हुए 22 आरोपियों के विरुद्ध एनबीडब्ल्यू जारी किए हैं। जिसमें कोर्ट ने राधा मोहन द्विवेदी, कृपाल सिंह, महेश चंद शर्मा, नेत्रपाल सिंह, सुमेर सिंह, देवेंद्र शर्मा, सतीश चंद शर्मा, तमकीन अहमद, मिलाप सिंह, सुरेंद्र सिंह, बृजेश कुमार, कंवरपाल, प्रबल प्रकाश, राकेश कुमार, वीरेंद्र कुमार, संजीव कुमार, राकेश कुमार, कुशल पाल सिंह, राज्यपाल सिंह, विरेंद्र प्रताप और विजय पाल सिंह तथा नरेश कुमार त्यागी की हाजिरी माफी निरस्त कर एनबीडब्ल्यू जारी किया है। जबकि आरोपी विक्रम सिंह के कई वर्ष से तारीख पर नहीं जाने से कुर्की का आदेश दिया है।