Saturday, November 23, 2024

भविष्य के सुनहरे परिदृश्य दिखाए अंतरिम बजट

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दूसरे कार्यकाल के अन्तिम अंतरिम बजट की घोषणाओं से भविष्य में राष्ट्र किन दिशाओं में आगे बढ़ेगा, उसकी मंशा एवं दिशा अवश्य स्पष्ट होगी। भले अंतरिम बजट की अपनी सीमाएं होती हो, ऐसे बजट में किसी नई योजना को लागू नहीं किया जाता हो, फिर भी आगामी लोकसभा चुनाव एवं अर्थव्यवस्था को बल देने की दृष्टि एवं राह इस बजट में दिखेगी।

वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण की एक मौलिक सोच एवं दृष्टि से यह बजट दुनिया में भारतीय अर्थव्यवस्था को एक चमकते सितारे के रूप में स्थापित करने एवं सुदृढ़ आर्थिक विकास के लिये आगे की राह दिखाने वाला होगा। संभावना है कि इस बजट में समावेशी विकास, वंचितों को वरीयता, बुनियादी ढांचे में निवेश, क्षमता विस्तार, हरित विकास, महिलाओं एवं युवाओं की भागीदारी, मोदी की गारंटियों पर बल दिया जायेगा। इंफ्रास्ट्रक्चर, मैन्युफैक्चरिंग, डिजिटल और सामाजिक विकास की दृष्टि से देश को आत्मनिर्भर बनाने की रफ्तार को भी गति दी जायेगी। यह बजट देश को न केवल विकसित देशों में बल्कि इसकी अर्थव्यवस्था को विश्व स्तर पर तीसरे स्थान दिलाने के संकल्प को बल देने में सहायक बनेगा।

सशक्त एवं विकसित भारत निर्मित करने, उसे दुनिया की आर्थिक महाशक्ति बनाने और अर्थव्यवस्था को पटरी पर तेज दौड़ाने की दृष्टि से वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा प्रस्तुत होने वाला अंतरिम बजट इसलिए विशेष रूप से उल्लेखनीय होगा क्योंकि मोदी सरकार ने देश के आर्थिक भविष्य को सुधारने पर ध्यान दिया, न कि लोकलुभावन योजनाओं के जरिये प्रशंसा पाने अथवा कोई राजनीतिक लाभ उठाने की कोशिश की है। राजनीतिक हितों से ज्यादा देशहित को सामने रखने की यह पहल अनूठी है, प्रेरक है।

अमृत काल का विजन तकनीक संचालित और ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था का निर्माण करना है। बुनियादी ढांचागत विकास को प्राथमिकता देने के लिये हमें मौजूदा सरकार की सराहना करनी ही चाहिए। आर्थिक वृृद्धि को आवश्यक आधार प्रदान करने के साथ ही बुनियादी ढांचागत परियोजनाएं रोजगार सृजन के दृष्टिकोण से भी आवश्यक होती है। मोदी के विजन में जहां ‘हर हाथ को काम का संकल्प साकार होता हुआ दिखाई दे रहा है, वहीं ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास का प्रभाव भी स्पष्ट रूप से उजागर हो रहा है। श्रम शक्ति की ओर ज्यादा तवज्जों देने की जरूरत है। जीडीपी देश के आम नागरिकों की समृद्धि का पैमाना नहीं है।

जिस पैमाने से देश के आम लोगों की समृद्धि मापी जाती है उसे प्रति व्यक्ति आय कहते हैं। इसमें दिहाड़ीदार मजदूर, कामकाजी लोग, महिलाओं की स्थिति से लेकर औद्योगिक घराने की कमाई तक सब शामिल रहते हैं। बहुत सारे लोग औसत से अधिक कमाते हैं और बहुत सारे लोग कम। देखना यह है कि आम आदमी को कितना लाभ पहुंचता है। उम्मीद है कि निर्मला सीतारमण के अंतरिम बजट से क्या-क्या निकलता है।

निश्चित ही यह बजट चुनावी बजट भी है। इंडिया गठबंधन में टूट-फूट के चलते भाजपा की चुनावी संभावनाएं कहीं अधिक बेहतर एवं उजली नजर आ रही है। अनुकूल चुनावी संभावनाओं के चलते अंतरिम बजट में ऐसे कदम उठाए जाने आवश्यक है, ताकि भारतीय अर्थव्यवस्था को बल मिले। यह उल्लेखनीय एवं संतोष का विषय है कि भारतीय अर्थव्यवस्था दुनिया में सबसे तेज गति से बढ़ती अर्थव्यवस्था है।

अंतरिम बजट से पहले सरकार की ओर से रविवार को जारी की गई रिपोर्ट ‘इंडियन इकॉनमी- अरिव्यू में यह उम्मीद जताई गई है कि भारत 2027 तक 5 ट्रिलियन डॉलर और 2030 तक 7 ट्रिलियन डॉलर की इकॉनमी बन जाएगा। रिपोर्ट में इसे हासिल होने लायक लक्ष्य बताते हुए उन चीजों का जिक्र किया गया है, जो इसे मुमकिन बना सकते हैं। अंतरिम बजट में इसके लिये सकारात्मक नजरिये को बल मिलना ही चाहिए। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी लगातार इस बात की गारंटी दे रहे हैं कि भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में शामिल हो जाएगा। भारत फिलहाल दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। वैश्विक वित्तीय संस्थान मॉर्गन स्टेनली ने भी ऐसी ही भविष्यवाणी की थी।

हर आम बजट से पहले आर्थिक सर्वे सरकार के द्वारा प्रस्तुत किया जाता है। अंतरिम बजट के कारण यह आर्थिक सर्वे नई सरकार बनने के बाद पेश किए जाने वाले पूर्ण आम बजट से पहले आएगा लेकिन वित्त मंत्रालय ने अर्थव्यवस्था की चमकदार तस्वीर पेश करते हुए रिपोर्ट जारी की है। यह रिपोर्ट मुख्य आर्थिक सलाहकार के कार्यालय के अधिकारियों द्वारा तैयार की गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि देेश की अर्थव्यवस्था 10 वर्ष में पांचवें नम्बर पर पहुंच गई है।

रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि अगले तीन साल में देश की अर्थव्यवस्था तीसरे नम्बर पर पहुंच जाएगी और 2030 तक अर्थव्यवस्था 7 ट्रिलियन की हो जाएगी। किसी भी देश की अर्थव्यवस्था के आकार का मानक उस देश की जीडीपी होती है और बीते 10 वर्षों में भारत की जीडीपी ने तेज उछाल दर्ज की है। तमाम चुनौतियों को पार करते हुए अर्थव्यवस्था 7 फीसदी से अधिक विकास दर से दौड़ रही है। रिपोर्ट के अनुसार 2025-26 में भी 7 फीसदी ग्रोथ का अनुमान लगाया गया है। घरेलू मांग लगातार बढ़ रही है और इसके साथ-साथ सरकारी निवेश और निजी निवेश भी बढ़ा है। अर्थव्यवस्था के सभी संकेत अच्छे हैं। अगर यही गति बनी रही तो 2047 तक भारत विकसित देश बनने का लक्ष्य हासिल कर लेगा।

तमाम तरह की अनुकूलताओं एवं गुलाबी अर्थ रंगों के बावजूद हमें आर्थिक गति की बाधाओं पर भी ध्यान देना होगा। तेज विकास दर के बावजूद रोजगार के मोर्चे पर खास प्रगति नहीं हुई है। आज भी युवा बेरोजगारी का स्तर 40 फीसदी तक बताया जाता है। यह स्थिति गंभीर इसलिए भी है कि यह तेज विकास दर के फायदों को सीमित करती है। एक बड़ी चुनौती यह भी है कि निजी पूंजी निवेश में बढ़ोतरी नहीं हो रही है।

कोविड-19 के बाद विकास दर में जो बढ़ोतरी देखने को मिली और इकॉनमी नए सिरे से उठ खड़ी हुई उसके पीछे सरकार द्वारा किए गए निवेश की ही प्रमुख भूमिका रही है। लेकिन निजी बचत को बढ़ाये बगैर विकास की तेज रफ्तार का टिके रहना मुश्किल होगा। इसलिए इस ओर अभी से ध्यान देना जरूरी है। कृषि क्षेत्र के प्रदर्शन में गिरावट लगातार चिंता की बात बनी हुई है। खराब मॉनसून की वजह से पिछली तिमाही (जुलाई-सितंबर) में कृषि क्षेत्र की ग्रोथ घटकर 1.2 फीसदी पर आ गई, जो उससे पहले की तिमाही (अप्रैल-जून) में 3.5 फीसदी थी।

ग्रामीण अर्थव्यवस्था में खपत कमजोर होने की एक वजह यह भी है। श्रम-शक्ति में महिलाओं की कम भागीदारी आर्थिक ही नहीं सामाजिक और अन्य दृष्टियों से भी चिंता की बात है। इस मामले में हम पड़ोस के बांग्लादेश और पाकिस्तान से भी पीछे हैं। ध्यान रहे, विश्व बैंक का कहना है कि महिलाओं की कार्य-शक्ति में भागीदारी बढ़ाकर ग्रोथ रेट में 1.5 फीसदी तक की बढ़ोतरी की जा सकती है।

एक फरवरी को होने वाली आर्थिक घोषणाओं को चाहे तो नाम दिया जाये, उनसे वह दशा एवं दिशा स्पष्ट होनी चाहिए कि भविष्य के लिये हम कौन सी राह पकडने वाले हैं। हम किस तरह से आदिवासी समुदाय के उन्नयन के लिये प्रतिबद्ध होंगे। भारत की अर्थव्यवस्था के उन्नयन एवं उम्मीदों को आकार देने की दृष्टि से हम किस तरह से मील का पत्थर साबित होंगे। किस तरह से समाज के सभी वर्गों का सर्वांगीण एवं संतुलित विकास सुनिश्चित होगा। इससे देश की अर्थव्यवस्था का जो नक्शा सामने आयेगा वह इस मायने में उम्मीद की छांव देने वाला साबित होगा, जिससे शहर एवं गांवों के संतुलित विकास पर बल मिल सकेगा।

अंतरिम बजट अपनी सीमितता के बावजूद अर्थव्यवस्था में नयी परम्परा के साथ राहत की सांसें दे सकेगा जिससे नया भारत- सशक्त भारत के निर्माण का संकल्प भी बलशाली बन सकेगा। सच्चाई यही है कि जब तक जमीनी विकास नहीं होगा, तब तक आर्थिक विकास की गति सुनिश्चित नहीं की जा सकेगी। अक्सर बजट में राजनीति, वोट नीति तथा अपनी व अपनी सरकार की छवि-वृद्धि करने के प्रयास ही अधिक दिखाई देते है लेकिन मोदी सरकार के बजट या अंतरिम बजट राजनीति प्रेरित नहीं होकर राष्ट्र प्रेरित रहे है।
(ललित गर्ग)

- Advertisement -

Royal Bulletin के साथ जुड़ने के लिए अभी Like, Follow और Subscribe करें |

 

Related Articles

STAY CONNECTED

74,306FansLike
5,466FollowersFollow
131,499SubscribersSubscribe

ताज़ा समाचार

सर्वाधिक लोकप्रिय