Friday, September 20, 2024

अनमोल वचन

आप केवल एक ज्योति जागृत कर दे तो अंधकार अपने आप ही नष्ट हो जाता है, क्योंकि अंधकार का अपना कोई अस्तित्व नहीं होता।

अंधकार तो प्रकाश के अभाव को ही कहा जाता है। आपकी समरसता की, सद्भाव की, संगठन की, बन्धुत्व, नीच, घृणा, ईर्ष्या, दुर्भावना, विघटन एवं झूठ रूपी अंधकार की सत्ता सदा-सदा के लिए समाप्त हो जाये।

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ऐसा करते हुए हमारी आशा और विश्वास उस नदी के समान ही हो, जिसके बार-बार सागर से मिलने पर सागर उससे पूछे कि मैं तो खारा हूं, परन्तु तुम तो मीठी हो, आखिर कब तक आकर मुझसे मिलती रहोगी? और नदी सागर से यह कहे कि ‘जब तक तुम मीठे नहीं हो जाते, तब तक मैं तुमसे आकर यूं ही मिलती रहूंगी।

ऐसा ही विश्वास हमारे दिलों में भी हो कि जब तक समाज की व्यवस्थाएं, समाज का व्यवहार सुचारू और नैतिकता की कसौटी पर खरी उतरना प्रारम्भ नहीं हो जाता, तब तक समाज के संतों और मनीषियों के प्रयासों में निरन्तरता बनी रहनी चाहिए।

जो मानवता के प्रति संवेदनशील है, उन्हें अपने इस पवित्र उद्द्ेश्य की गंगा को निरन्तर प्रवाहित रखने का संकल्प करना होगा, उन्हें यह संकल्प भी करना होगा कि हमें समाज को देना ही देना है और तब तक देना है, जब तक इसकी आवश्यकता होगी।

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