होली का त्यौहार उत्साह और उमंग का त्यौहार है। होली के आते ही लोगों को भांग की याद आने लगती है। होली के दिन लोग भांग का छक कर प्रयोग करते हैं। चूंकि हमारी धार्मिक परंपराओं के कारण भांग का होली के दिन प्रयोग उचित माना गया है अत: इसका प्रयोग वर्जित भी नहीं माना जाता है।
परंतु आजकल होली के समय मदिरा सेवन करना साधारण बात हो गई है और इस तरह नशे का प्रयोग करके आज के युवा होली को रंगीली बनाने के बजाय बदरंग कर देते हैं अत: होली मनाते समय कुछ बातों का ध्यान रखना आवश्यक है जिससे होली का मजा किरकिरा न हो बल्कि होली यादगार बन सके।
होली को शिष्टता व शालीनता के साथ मनाया जाना चाहिए। होली जितनी शालीनता के साथ मनाई जाएगी उतना ही उसका रंग निखरेगा।
जहां तक हो सके, मदिरा आदि का सेवन नहीं करना चाहिए और यदि कर ही लिया है तो स्वयं को नियंत्रित रखना चाहिए। शराब के नशे में ऐसा कोई कार्य नहीं करना चाहिए जिससे बाद में स्वयं को ही पछताना पड़े। नशा करने के पश्चात किसी दूसरे की होली के आनंद व उत्साह में किसी तरह की बाधा न डालें।
नशा करने के पश्चात वाहनों का प्रयोग न करें अन्यथा दूसरे को तो आप नुकसान पहुंचाएंगे ही, स्वयं भी दुर्घटना होने से किसी अनहोनी घटना का शिकार हो सकते हैं।
नशा करने के पश्चात किसी को भी होली खेलने के लिए मजबूर न करें क्योंकि सभी को आपकी भांति नशा प्रिय हो, यह आवश्यक नहीं है। महिला मित्रों के साथ तो नशा करने के बाद कतई होली न खेलें अन्यथा कोई ऐसी घटना घट सकती है जो नहीं घटनी चाहिए।
नशा करने के पश्चात मनुष्य अपना मानसिक संतुलन खो बैठता है और कई अशोभनीय कार्य कर बैठता है जिसके कारण बाद में उसे शर्मिंदा भी होना पड़ता और पछताना भी पड़ता है कभी-कभी इसका भी अवसर प्राप्त नहीं होता है।
अत: यदि आप अपनी होली को यादगार होली बनाना चाहते हैं तो नशे से दूर ही रहें तथा बिना नशा किए प्रेम व स्नेह से होली खेल कर देखें। तब आप जानेंगे कि रंगों का नशा क्या होता है। बिना नशे के केवल रंगों की होली का नशा वह नशा है जो एक बार चढ़ जाए तो फिर कभी नहीं उतेरगा।
अत: नशे व भांग के संग होली न खेलकर सिर्फ रंगों से ही होली खेलिए और स्वयं भी उत्साह व उमंग से दूसरों के जीवन में खुशी का रंग भरिए व दूसरों को भी अपने जीवन में खुशी का रंग भरने दीजिए।
– रूपा मिश्रा