Saturday, October 5, 2024

खतौली के पूर्व चेयरमैन पारस जैन भेजे गये जेल, राजा बाल्मिीकि हत्याकांड में अग्रिम जमानत हुई खारिज

खतौली। बकरे की मां कब तक खैर मनायेगी। यह पुरानी कहावत कस्बे के चर्चित राजा बाल्मिकी हत्याकांड के आरोपी पालिका चेयरमैन से सभासद बने पारस जैन के सात साल बाद बुधवार को जेल की सलाखों के पीछे जाने के चलते पूरी हो गई है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय समय सीमा से दो दिन पहले बुधवार को जिला न्यायालय में आत्मसमर्पण करके अग्रिम जमानत हेतु लगाई गई अर्जी को एससीएसटी कोर्ट के न्यायाधीश ने खारिज करके पारस जैन को जेल भेज दिया है।

कस्बे के मोहल्ला देवीदास निवासी भाजपा नेता राजकुमार उर्फ राजा वाल्मीकि पुत्र बाबूलाल बाल्मिकी की पांच अप्रैल 2017 की प्रात होली चौक स्थित अपनी दुकान पर बैठे होने के दौरान गोली मारकर नृशंस हत्या कर दी गई थी। मृतक राजा बाल्मिकी के भाई राणा प्रताप ने थाने में दर्ज कराए मुकदमे में तत्कालीन पालिका चेयरमैन पारस जैन को भी आरोपी बनाया था। पुलिस ने अन्य नामजद अभियुक्तों के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया था। जबकि पारस जैन के विरुद्ध चार्जशीट दाखिल नहीं की थी।

Royal Bulletin के साथ जुड़ने के लिए अभी Like, Follow और Subscribe करें |

 

पुलिस की कार्यवाही के विरुद्ध मुकदमे के वादी राणा प्रताप ने धारा 319 के अंतर्गत पारस जैन के अदालत से तलबी आदेश करा दिए थे। तलबी आदेश के विरुद्ध पारस जैन ने हाईकोर्ट की शरण ली थी। हाई कोर्ट से कोई राहत ना मिलने पर पारस जैन को सुप्रीम कोर्ट जाना पड़ा था। बताया गया सुप्रीम कोर्ट द्वारा निचली अदालत में पेश होकर ज़मानत कराने का आदेश देने पर पूर्व चेयरमैन पारस जैन ने अप्रैल 2०23 को एडीजे कोर्ट 2 मुजफ्फरनगर में अग्रिम और नियमित ज़मानत दिए जाने की अर्जी दाखिल की थी, जिस पर वादी राणा प्रताप ने राजा बाल्मिकी हत्याकांड से इतर पारस जैन की क्रिमिनल हिस्ट्री दाखिल करने के लिए स्थगन प्रार्थना पत्र दिया था, जिसे दरकिनार करके एडीजे कोर्ट ने पारस जैन को पहले अग्रिम तथा 4 अप्रैल 2०23 को नियमित ज़मानत दे दी थी, जिसके विरुद्ध वादी राणा प्रताप ने हाई कोर्ट में अपील की थी।

सुनवाई पश्चात हाईकोर्ट ने एडीजे कोर्ट द्वारा पारस जैन को ज़मानत दिए जाने को गलत मान इसे निरस्त करके इन्हें 45 दिनों के अंदर निचली अदालत में पुनः ज़मानत अर्जी दाखिल करने के साथ ही कोर्ट को कोई भी निर्णय लेने से पूर्व वादी राणा प्रताप को सुनवाई का अवसर दिए जाने के निर्देश दिए थे। पूर्व चेयरमैन पारस जैन ने उच्च न्यायालय के आदेश पर राहत पाने के लिए 18 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी।

बीती 29 अप्रैल को सुनवाई पश्चात सुप्रीम कोर्ट ने पारस जैन की अपील निरस्त करके उच्च न्यायालय के आदेश को ज्यों का त्यों बरकरार रखने के साथ ही उन्हें हाई कोर्ट द्वारा तय की गई 4 मई के बजाये 17 मई तक निचली अदालत में आत्मसमर्पण करके अपनी ज़मानत कराने का आदेश दिया था। सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय समय सीमा से दो दिन पहले ही बुधवार को पारस जैन ने एससीएसटी कोर्ट में आत्मसमर्पण कर दिया।

पारस जैन द्वारा न्यायालय में अग्रिम जमानत हेतु डाले गए प्रार्थना पत्र पर पारस जैन के सुप्रीम कोर्ट के दो और मेरठ के दो अधिवक्ताओं के अलावा इनके स्थानीय अधिवक्ता वकार अहमद तथा मृतक राजा बाल्मिकी के भाई वादी राणा प्रताप के अधिवक्ताओं की बहस हुई। जिसके बाद एससीएसटी कोर्ट के न्यायाधीश अशोक कुमार ने राजा बाल्मिकी हत्याकांड के आरोपी पारस जैन की अग्रिम जमानत की अर्जी खारिज करके इन्हें जेल भेज दिया। पालिका चेयरमैन से सभासद बने पारस जैन के राजा बाल्मिकी हत्याकांड में जेल की सलाखों के पीछे जाने की खबर कस्बे में फैलते ही इनके समर्थक स्तब्ध रह गए, जबकि पारस जैन के जेल यात्रा पर जाने के चलते इनके विरोधियों की बांछे खिल गई।

Related Articles

STAY CONNECTED

74,306FansLike
5,445FollowersFollow
115,034SubscribersSubscribe

ताज़ा समाचार

सर्वाधिक लोकप्रिय