Saturday, November 23, 2024

शामली जिला अस्पताल के बाहर प्राईवेट अस्पतालों के लगे विज्ञापन, कुंभकर्णी नींद में सोए अधिकारी

शामली। करोड़ों की लागत से बना शामली का जिला संयुक्त चिकित्सालय सफेद हाथी साबित हो रहा है, क्योंकि यहां पर आय दिन मरीजों को उपचार नही मिलने की शिकायतें सामने आ रही हैं। इसके उलट जनपदस्तरीय सरकारी स्वास्थ्य सेवा की इस सबसे बड़ी ईकाईं के बाहर प्राईवेट अस्पतालों का खुलेआम प्रचार किया जा रहा है, ताकि यहां परेशान और उपचार नही मिलने मरीज सीधे प्राईवेट अस्पतालों में जाकर भर्ती हों। स्वास्थ्य विभाग की लाचारी पर ना तो एसीएमओ से सीएमओ बने डाक्टर साहब का कोई ध्यान है और ना ही जिलास्तरीय आलाधिकारी सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं की तस्वीर सुधारने का प्रयास कर रहे हैं।

शामली जिले में बदहाल सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं की सूरत बदलने के लिए जनपद में सरकार द्वारा करोड़ों की लागत से जिला संयुक्त चिकित्सालय का निर्माण कराया गया है, हालांकि पर्याप्त स्टॉफ की मौजूदगी और कई डॉक्टरों की निरंकुशता के चलते जिला अस्पताल का विशाल भवन सिर्फ और सिर्फ सफेद हाथी साबित हो रहा है। आय दिन जिला अस्पताल में मरीजों को उपचार नही मिलने और डॉक्टरों के नही बैठने की शिकायतें सामने आती रहती हैं। इतना ही नही यहां पर तैनात कुछ डॉक्टरों के बारे में तो यह भी सूचना है कि वें अपना स्वयं का प्राईवेट अस्पताल चला रहे हैं या फिर प्राईवेट अस्पतालों में नियमित रूप से सेवाएं देते हुए जिला अस्पताल में सिर्फ सैटिंग गैटिंग के जरिए हाजरी लगवाकर सरकार को भी चूना लगा रहे हैं।

 

इन सबके उलट अब जिला संयुक्त चिकित्सालय के बाहर महकमें के कुछ अफसरों की मिलीभगत से प्राईवेट अस्पतालों के विज्ञापन फोन नंबर समेत लगवाए गए हैं, ताकि जिला अस्पताल में परेशान होने वाले मरीज प्राईवेट अस्पतालों की तरफ आकर्षित हो सकें। सरकारी अस्पताल के बाहर लगे प्राईवेट अस्पतालों के विज्ञापन पर ना तो सीएमओ साहब की नजर पड़ती है और ना ही जनपद के आलाधिकारी इस ओर ध्यान दे रहे हैं। अधिकारी एसी रूम में बैठकर गर्मी गुजार रहे हैं, जबकि सरकारी अस्पतालों में परेशान होने वाली जनता उन्हें रोजाना जमकर कौसती है।

 

छोलाछाप और प्राईवेट अस्पतालों की भरमार

शामली जिले में काफी बड़ी संख्या ऐसे प्राईवेट अस्पतालों और क्लीनिक की है, जिनमें सड़कछाप लोग डॉक्टर बने बैठे हुए हैं। किसी अन्य डॉक्टर की डिग्री का इस्तेमाल कर नर्सिंग होम और क्लीनिक चलाने वाले लोग अपने परिवार के लोगों के साथ ऑपरेशन तक करते हुए नजर आते हैं, जिनकी वीडियो भी कई बार स्थानीय स्तर पर वायरल हो चुकी है, हालांकि इतना सबकुछ हो जाने के बावजूद भी सीएमओ साहब कार्रवाई से बचते है, जिसका सीधा मतलब क्या है, यह जनता भी जानती है।

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