प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राष्ट्रीय पत्राचार संस्थान कानपुर की शिक्षा अलंकार अमान्य डिग्री के आधार पर तीस सालों से कार्यरत शिक्षक की सेवा समाप्ति आदेश पर रोक लगाते हुए राज्य सरकार से चार हफ्ते में याचिका पर जवाब मांगा है।
कोर्ट ने यह आदेश सुप्रीम कोर्ट द्वारा ऐसे ही मामले में दिए आदेश के तहत पारित किया है। कोर्ट ने याची को नियमित कार्य करने देने व वेतन भुगतान करने का भी निर्देश दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया ने देवरिया के शिक्षक द्विजेश कुमार तिवारी की याचिका पर दिया है।
याची की नियुक्ति 1993 में राष्ट्रीय पत्राचार संस्थान कानपुर द्वारा निर्गत शिक्षा अलंकार डिग्री के आधार पर की गई थी। 2020 से जारी प्रदेश भर के शिक्षकों के शैक्षिक अभिलेखों की जांच की कड़ी में शिक्षा अलंकार प्रशिक्षण डिग्री अवैध पाई गई थी। उसके बाद माध्यमिक शिक्षा निदेशक ने ऐसे तमाम अध्यापकों को बर्खास्त कर दिया। याची की भी 30 साल पुरानी नियुक्ति को निरस्त कर दिया गया जिसे चुनौती दी गई है।
याची के अधिवक्ता ने कहा कि शिक्षक ने तीस वर्षों तक विभाग में सेवाएं दी हैं एवं उसका विनियमितीकरण भी किया जा चुका है। सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे ही एक मामले में स्थगनादेश जारी किया है। याचिका की अगली सुनवाई जुलाई 23 के प्रथम सप्ताह में होगी।